(प्रेम और वासना की रहस्यमय पर्तों का एक मनोवैज्ञानिक विवेचन)
तारा
देवी गहनों में लदी हुई दुल्हन की तरह अपने बेड पर बैठी थीं और यह सवाल
उनके दिल में ज़ोर ज़ोर से सिर उठा रहा था कि ‘इतने धनी-मानी और देवता आदमी
ने एक वेश्या से शादी क्यों की ?‘
जो सवाल हल न हो पाए वह आदमी के लिए राज़ बन जाता है। हमराज़ ही कोई राज़ छिपाए, इसे औरत की फ़ितरत कभी गवारा नहीं करती।
जो सवाल हल न हो पाए वह आदमी के लिए राज़ बन जाता है। हमराज़ ही कोई राज़ छिपाए, इसे औरत की फ़ितरत कभी गवारा नहीं करती।
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