'चर्चाशाली मंच' हिंदी ब्लॉग जगत में गंभीर मुद्दों पर चर्चा के जाना जाता है . देखिये एक ऐसी ही सामयिक चर्चा-
टीम अन्ना का भव्य अनशन और उसके साइड इफ़ेक्ट Anna Hajare
भ्रष्टाचार सदाचार का विपरीत है.
जब तक लोगों में सदाचार की तमन्ना नहीं जागेगी तब तक अनशन करने से सरकार को तो परेशान किया जा सकता है लेकिन भ्रष्टाचार को नहीं मिटाया जा सकता है.
अनशन का रास्ता आत्महत्या और अराजकता का रास्ता है. इस तरह अगर सरकार अन्ना के क़ानून को बिना किसी विश्लेषण और सुधार के मान लेती है तो यह भी ग़लत है और अगर अन्ना अपना अनशन तोड़ते हैं, जैसा कि अनशन करने की घोषणा वह कर चुके हैं, तो उस से जनता में मायूसी फैलेगी और अगर वह अनशन नहीं तोड़ते और वह चल बसे तो देश में भारी अराजकता फैल जायेगी.
तीनों मार्ग देश को ग़लत अंजाम की तरफ़ ले जा रहे हैं.
अनशन और आत्महत्या बहरहाल ग़लत है.
1 comments:
आपका विश्लेषण बहुत ही साधारण है और आप इतिहास की उपेक्षा कर रहे हैं.
इस टीम ने चाहे जानकर या मजबूरी में, नबंबर में सरकार को समय दिया था और सरकार ने उस मौके का गलत इस्तेमाल किया. इस प्रकार सरकार कह रही है कि तुम्हारी बात तो हम बिल्कुल ही नहीं सुनेंगे.
एक लोकतांत्रिक समाज में, अगर सरकार और जनता का एक हिस्सा असहमत हो तो उसे कैसे सुलझाया जाये?
क्या MPs को जनता की उपेक्षा करके मनमानी की छूट हो?
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