वे बचपन के दिन थे ....मोहल्ले में दो बच्चों की मौत होने के बाद काना-फूसी शुरू हो गयी और एक बूढी विधवा को 'डायन' करार दिया गया...हम उन्हें प्यार से 'दादी' कहा करते थे...लोगो की ये बाते हम बच्चों तक भी पहुची और हमारी प्यारी- दुलारी दादी एक 'भयानक डर' में तब्दील हो गयी... उनके घर के पास से हम दौड़ते हुए निकलते कि वो पकड़ न ले...उनके बुलाने पर भी पास नहीं जाते ...उनके परिवार को अप्रत्यक्ष तौर पर बहिष्कृत कर दिया गया ....आज सोचती हूँ तो लगता है कि हमारे बदले व्यवहार ने उन्हें कितनी 'चोटे' दी होंगी ...और ये सब इसलिए कि हमारी मानसिकता सड़ी हुई थी....जबकि हमारा मोहल्ला बौद्धिक (?) तौर पर परिष्कृत (?) लोगो का था ..!............
खबरगंगा: 'डायन' : औरतों को प्रताड़ित किये जाने का एक और तरीका:
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मूसा ने कहा खु़दा ज़रूर फरमाता है कि वह गाय न तो इतनी सधाई हो कि ज़मीन जोते
न खेती सीचें भली चंगी एक रंग की कि उसमें कोई धब्बा तक न हो, वह बोले अब (जा
के) ठीक-ठीक बयान किया, ग़रज़ उन लोगों ने वह गाय हलाल की हालाँकि उनसे उम्मीद
न थी वह कि वह ऐसा करेंगे
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मूसा ने कहा खु़दा ज़रूर फरमाता है कि वह गाय न तो इतनी सधाई हो कि ज़मीन
जोते न खेती सीचें भली चंगी एक रंग की कि उसमें कोई धब्बा तक न हो, वह बोले अब
(जा क...
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