कुमार राधारमण जी बता रहे हैं-
सीने में जलन से बचाव के 10 उपाय
खाने की नली और आमाशय बीच बना वॉल्व इस समस्या की जड़ है। इस वॉल्व का काम
भोजन को आगे आमाशय में बढ़ने देना और फिर ऊपर लौटने से रोकना है। वॉल्व के
कमज़ोर होने से भोजन ऊपर की ओर लौटने लगता है। इसके साथ ही पाचन के लिए
आमाशय में बना तेज़ाब उलट कर खाने की नली में जाने लगता है। नली की अंदरुनी
सतह इसे सह नहीं पाती और उसमें जलन होने लगती है।
इससे बचने के लिए यह उपाय किए
जा सकते हैं -
१.टमाटर, प्याज़, लाल मिर्च, काली मिर्च, संतरा, चॉकलेट व पेपरमिंट
भोजन- नलिका के निकास पर स्थित वॉल्व को कमज़ोर बना देते हैं। इन चीज़ों को
खाने से तकलीफ होती हो तो समझ लें कि इनसे परहेज़ करने में ही भलाई है।
२.इसी प्रकार तले हुए वसा-युक्त व्यंजन भी कई लोगों को रास नहीं आते। इन्हें कम से कम लें।
३.चाय, कॉफी और कोला ड्रिंक्स में पाई जाने वाली कैफीन अन्न नली के
वॉल्व की कार्यक्षमता को चौपट कर देती है। यदि सीने में जलन रहती है तो इन
पदार्थों से दूरी बना लें।
४.तंबाकू हर रूप में खाने की नली के वॉल्व का दुश्मन है। यह पेट की
सुरक्षा प्रणाली को भी ठेस पहुँचाता है। इसके दुष्प्रभावों से आमाशय तेज़ाब
को सहने के काबिल नहीं रहता।
५.व्यक्ति को विवेकशून्य बनाने के साथ-साथ शराब भोजन-नली के वॉल्व
को भी सुस्त कर देती है। यह तकलीफ "नीट" पीने वालों तथा मदिरा के साथ
सिगरेट के कश खींचने वालों में सबसे प्रबल होती है। ऐसे में पेट में अम्ल
भी अधिक बनता है जिससे स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
६.यह छोटी सी बात गांठ बांध लें कि भोजन करने के दो-ढाई घंटे बाद तक
लेटने और उलटे झुकने-मुड़ने से परहेज़ करें। गुरुत्वाकर्षीय प्रभाव के आगे
वॉल्व को नतमस्तक होना ही पड़ता है। भोजन करने के बाद कुछ देर टहलना सबसे
अच्छा है।टहलने न जा पाएँ तो पीठ टेककर सीधे बैठें। इसके लिए यह नियम बना
लें कि रात्रि-भोज सोने के समय से कम से कम दो-ढाई घंटे पहले ही कर लें।
काम धंधे से देर से लौटना और भोजन करके चटपट बिस्तर में लेट जाना एसिडिटी
का कारण बनता है।
7.खाना कितना ही स्वादिष्ट हो
और पकवान कितने ही प्रकार के हों, भोजन करते समय पेट के साथ कभी ज़्यादती
नहीं करें। पेटू होने से स्वास्थ्य तो बिगड़ता ही है, पेट भी भोजन को नहीं
संभाल पाता। जिनकी भोजन नली का वॉल्व कमजोर उन्हें इस बात का विशेष ध्यान
रखना चाहिए।
८.कलेजे की जलन से छुटकारा पाने के लिए
थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें। हर आधे-एक घंटे में एक-दो घूँट पानी
पीते रहने से एसिडिटी से बच सकते हैं।
९.मोटापा स्वास्थ्य का बहुत बड़ा शत्रु है।
इसके कारण भोजननली का वॉल्व भी काम करना बंद कर देता है। पेट पर लदी चर्बी
वॉल्व को शिथिल बनाती है, डायफ्राम के पेशी तंतुओं में भी छितरा-पन पैदा
करती है, जिससे पेट कई बार उचक कर छाती में जा बैठता है। इसे ही हायेटस
हर्निया कहते हैं। ऐसे में आमाशय से भोजन के उलटकर खाने की नली में जाने पर
रोक-टोक खत्म हो जाती है।
१०.ढीले आरामदायक वस्त्र पहनें। तंग कसी हुई
पेंट और जीन्स फैशनेबल ज़रूर दिख सकती हैं, पर पेट के लिए कष्टकारी है।
कमर अधिक कसी रहे तो खाने की नली का वॉल्व ठीक से काम नहीं करता।
एंटासिड लेने के नियम
कभी-कभार की जलन और बदहज़मी से निपटने के लिए
एंटासिड लिया जा सकता है। डायजीन, म्यूकेन, जेल्युसिल आदि सभी इस दृष्टि से
उपयोगी हैं पर इन्हें लगातार लेना ठीक नहीं होता। कुछ एंटासिड कब्ज़ पैदा
करते हैं, कुछ सोडियम होने के कारण रक्तचाप को प्रभावित करते हैं। जलन
लगातार बनी रहती हो जो चिकित्सक से परामर्श लें।
आयुर्वेदिक उपाय
- एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें, यह भी एक बेहतरीन उपाय है
- खाना के बाद आधा चम्मच सौंफ चबाएं।
- भोजन के पहले अलोवेरा जूस का सेवन करें ।
- एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें, यह भी एक बेहतरीन उपाय है
- खाना के बाद आधा चम्मच सौंफ चबाएं।
- भोजन के पहले अलोवेरा जूस का सेवन करें ।
- ताजा पुदीने के रस का रोज सेवन करना है।
2 comments:
आशा है,पाठक लाभान्वित होंगे।
very useful tips.thanks a lot..nice presentation.संघ भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य
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