(इमाम हुसैन र. को खि़राजे अक़ीदत का नज़राना सभी लोग पेश करते हैं। इस ब्लॉग के सभी सदस्यों की तरफ़ से यह कलाम 10 मुहर्रम की निस्बत से ‘मुशायरा‘ ब्लॉग पर पेश किया जा रहा है।)
दोनों जहां मे ख़ास है अज़्मत हुसैन की
ज़हरा के घर में चांद जो चमका हुसैन का
वो परतौ ए रसूल था चेहरा हुसैन का
लेने लगे बलाएं फिर अर्ज़ो-समा सभी
दोनों जहां के लब पे था चर्चा हुसैन का
ज़हरा के लाडले हैं इब्ने अली हुसैन
2 days ago
1 comments:
सादर नमन!
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