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हमारे समाज को बौद्धों और जैनियों को शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने इस इतिहास का हवाला देकर अपने मंदिरों को वापस पाने के लिए कोई आंदोलन कभी नहीं छेड़ा। अगर वे भी राम मंदिर की तर्ज़ पर आंदोलन छेड़े हुए होते तो आज हम शांति से न जी रहे होते। देश की मौजूदा शांति में उनके योगदान को रेखांकित करना बहुत ज़रूरी है। अगर ऐसा पहले ही कर लिया जाता और उनके अमल को सामने रखा जाता तो बाबरी मस्जिद-राम मंदिर के विवाद में लाखों लोगों की जान-माल और इज़्ज़त को बर्बाद होने से बचाया जा सकता था। अतीत के लिए हमें आज की शांति नहीं खोनी चाहिए।
3 comments:
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीय-
नवरात्रि / विजय दशमी की शुभकामनायें-
(१५ दिन की छुट्टी पर हूँ-सादर )
inke yogdan ke to kya kahne .
aapka aabhaar.
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