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विभिन्न धर्म-परंपराओं का संगम : हज
क़ुरबानी की तरह हज भी एक ऐसी परम्परा है। जिसे मुसलमान आज भी अदा कर रहे हैं लेकिन आर्य जाति उसे भूल चुकी है। धर्म और परम्परा को भूल जाने के सबब बहुत सी ग़लतफ़हमियां और नफ़रतें पैदा हो जाती हैं। भूले हुए धर्म और बिसरा दी गई परम्पराओं को याद दिलाने के लिए हम एक Allama Syed Abdullah Tariq का विशेष लेख अपने ब्लॉग के पाठकों की भेंट कर रहे हैं ताकि दूरियां ख़त्म हों और हम सबकी मति समान हो जाए, आमीन!
1 comments:
उम्दा जानकारी देती हुई पोस्ट.
शुक्रिया.
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