घरेलु हिंसा प्रकरणों को पुलिस और कोर्ट में ले जाना कानून कितना प्रासंगिक?
एक हिंदी ब्लॉगर ने चिंता जताई है कि
बहुत सारी ऐसी बातें हैं, जिन पर वैवाहिक बलात्कार का कानून बनवाने की मांग पर विचार करने से पहले जानने और समझने की जरूरत है। इस आलेख को विराम देने से पूर्व निम्न कुछ प्रसिद्ध उक्तिओं को पाठकों के समक्ष अवश्य प्रस्तुत करना चाहूंगा :-
- प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक वाटसन का कहना था कि पश्चिम में दस में नौ तलाक मैथुन सम्बन्धी गड़बड़ी के कारण होते हैं, जिसमें स्त्रियों का सेक्स में रुचि नहीं लेना भी बड़ा कारण होता है।
- एक अन्य स्थान पर वाटसन कहते हैं कि स्त्रियॉं विवाह के कुछ समय बाद सेक्स में रुचि लेना बन्द कर देती हैं और अपने पति के आग्रह पर सेक्स को घरेलु कार्यों की भांति फटाफट निपटाने को उतावली रहती हैं।
- सेक्स मामलों की विशेषज्ञ लेखिका डॉ. मेरी स्टोप्स लिखती हैं कि स्त्री और पुरुष की काम वासना का वेग एक समान हो ही नहीं सकता। पुरुष कितना ही प्रयास क्यों न कर ले, अपनी पत्नी या प्रेमिका के समीप होने पर वह अपनी वासना पर नियन्त्रण नहीं कर सकता। वह क्षण मात्र में सेक्स करने को आतुर होकर रतिक्रिया करने लगता है, जबकि स्त्रियों को समय लगता है, लेकिन स्त्रियों को इसे पुरुषों की, स्त्रियों के प्रति अनदेखी नहीं समझकर, इसे पुरुष का प्रद्भतिदत्त स्वभाव मानकर सामंजस्य बिठाना सीखना होगा, तब ही दाम्पत्य जीवन सफलता पूर्वक चल सकता है।
- डॉ. मेरी स्टोप्स आगे लिखती हैं आमतौर पर स्त्रियॉं सेक्स में अतृप्त रह जाती हैं, सदा से रहती रही हैं। जिसके लिये वे पुरुषों को जिम्मेदार मानती हैं और कुछेक तो अगली बार पुरुष को सेक्स नहीं करने देने की धमकी भी देती हैं। जबकि स्त्रियों को ऐसा करने से पूर्व स्त्री एवं पुरुष की कामवासना के आवेग के ज्वार-भाटे को समझना चाहिये।
- महादेवी वर्मा का कथन है कि काव्य और प्रेमी दोनों नारी हृदय की सम्पत्ति हैं। पुरुष नारी पर विजय का भूखा होता है, जबकि नारी पुरुष के समक्ष समर्पण की। पुरुष लूटना चाहता है, जबकि नारी लुट जाना चाहती है।
- द मैस्तेरी का कहना है कि नारी की सबसे बड़ी त्रुटी है, पुरुष के अनुरूप बनने की लालसा।
- शेक्सपियर-कुमारियां पति के अतिरिक्त कुछ नहीं चाहती और जब उन्हें पति मिल जाता है तो सब कुछ चाहने लगती हैं। यही प्रवृत्ति उनके जीवन की सबसे भयंकर त्रासदी सिद्ध होती है।
- बुलबर-विवाह एक ऐसी प्रणय कथा है, जिसमें नायक प्रथम अंक में ही मर जाता है। लेकिन उसे अपनी पत्नी के लिये जिन्दा रहने का नाटक करते रहना पड़ता है।
- अरबी लोकोक्ति-सफल विवाह के लिये एक स्त्री के लिये यह श्रेयस्कर है कि वह उस पुरुष से विवाह करे, जो उसे प्रेम करता हो, बजाय इसके कि वह उस पुरुष से विवाह करे, जिसे वह खुद प्रेम करती हो।
उपरोक्त पंक्तियों पर तो पाठक अपने-अपने विचारानुसार चिन्तन करेंगे ही, लेकिन अन्त में, मैं अपने अनुभव के आधार पर लिखना चाहता हूँ कि-
यदि स्त्रियॉं विवाह के बाद अपने पतियों के प्रति भी वैसा ही शालीन व्यवहार करें, जैसा कि वे अपरचित पुरुषों से करती हैं तो सौ में से निन्यानवें युगलों का दाम्पत्य जीवन सुगन्धित फूलों की बगिया की तरह महकने लगेगा। साथ ही स्त्रियों को हमेशा याद रखना चाहिये कि पुरुष प्रधान सामाजिक ढांचे में कोई भी पुरुष चिड़चिड़ी तथा कर्कशा पत्नी के समीप आने के बजाय उससे दूर भागने में ही भलाई समझता है। जिसके परिणाम कभी भी सुखद नहीं हो सकते।
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