385—55-03-11
अबला को
बला ना समझो
बल उसका कभी ना भूलो
यादें अपनी ताज़ा कर लो
इतिहास उठा कर देख लो
निर्बल उसे कभी ना मानो
अपने को बल को,अपना ना
समझो
माँ के दूध का नतीजा
समझो
अब अपनी आँखें खोलो
माँ के दूध
की लाज रख लो
नारी की रक्षा करो
सम्मान से उसे देखो
निरंतर ख्याल उसका रखो
उचित स्थान उसे दे दो
गलती अब तो सुधार लो
08—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
1 comments:
भाई राजेंद्र जी ! इस ब्लॉग का नाम है 'ब्लॉग की खबरें' और आप इसके पत्रकार हैं। आपकी पोस्ट में किसी ब्लॉग पर प्रकाशित पोस्ट की चर्चा और उसका लिंक होना चाहिए था ताकि वह खबर बनती जबकि यह लेख है । यहाँ आप लेख के बजाय लेख की जानकारी और लिंक देते तो यह खबर मानी जाती । आप ब्लॉग जगत में घूमते हैं । जहाँ जो देखें उसे यहाँ आकर बयान कर दीजिए।
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