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आज मोहतरमा आकांक्षा यादव जी की एक पोस्ट दो शीर्षकों से हमारी वाणी पर दिखाई दे रही है
१- 'अप्रैल फूल दिवस कहाँ से आया.- बाल दुनिया ब्लॉग पर
अप्रैल फूल बनना है क्या - उत्सव के रंग ब्लॉग पर
अब आप इन मोहतरमा के ब्लॉग भी ऐसे ही बिना किसी चेतावनी के बंद कर दीजिये जैसे कि आपने मेरे ब्लॉग बंद किये थे .
वरना आपके बारे में यही समझा जायेगा कि आप फैसला लेने से पहले ब्लौगर का धर्म , लिंग और प्रभाव देखते हैं .
इसी का नाम है वर्चुअल कम्युनालिज्म.
http://balduniya.blogspot.com/2011/04/blog-post.html
http://utsavkerang.blogspot.com/2011/04/blog-post.html ------------------------------------------------------यह लैटर आज हमने हमारी वाणी को भेजा है लेकिन अभी तक इसका कोई जवाब नहीं आया है. करना क्या है और होना क्या है ?हम आपको अभी बताये देते हैं.ये लोग पहले तो आपस में सलाह करते रहेंगे और फिर एक नोटिस भेजेंगे आकांक्षा यादव जी को . बस कुल इतना ही ये करेंगे क्योंकि आकांक्षा यादव मुसलमान नहीं है और ये अंधे मार्गदर्शक केवल मुसलमान ब्लॉगर्स की आवाज़ को दबाने के लिए औंधे कायदे बनाते हैं.आकांक्षा यादव जी की दोनों पोस्ट्स पर पहली टिप्पणी करके मुबारकबाद देने वाले हैं 'उड़नतश्तरी वाले समीर लाल जी'.ये हमारी वाणी के मार्गदर्शक भी हैं और एक ही पोस्ट को इन्होने खुद दो जगह पढ़ा और कोई भी ऐतराज़ बिलकुल न किया . यही अंधे मार्गदर्शक हमारी वाणी के डूबने का कारण बनेंगे .जिस दिन यह मार्गदर्शक मंडल बना था ऐसा हमने तभी कह दिया था क्योंकि इन्हीं पक्षपाती ब्लॉगर्स की धमकियों से परेशान होकर सिरिल गुप्ता जी ब्लॉगवाणी को बंद करना पड़ा. उन्होंने इनकी औंधी मांगों को न मानकर खुद इनको ही औंधे मुंह गिरा दिया . इनकी जो चालबाजियां ब्लॉगवाणी ने हमेशा फेल कीं उन्हें हमारीवाणी के मालिकान तो समझ भी नहीं पा रहे हैं .हमारीवाणी को इनके कारण ग्रहण लग चुका है और ये इसे नुकसान के सिवा फायदा कुछ दे नहीं सकते .
1 comments:
ohh
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