डोक्टर के भेस में छुपे हिंदी प्रेमी साहित्यकार डोक्टर श्याम गुप्त
डॉक्टर श्याम गुप्त हिंदी ,हिन्दू और हिन्दुस्तान से प्रेम करते हैं यह मानव और मानवीयता से प्रेम करते हैं इनका मानना है के चिकत्सा से व्यक्ति की बिमारी विकार दूर होते हैं लेकिन समाज का मानसिक इलाज केवल एक अच्छा साहित्य ही कर सकता है और जनाब डोक्टर श्याम जी गुप्त रेलवे में कार्यरत मरीजों का इलाज और सर्जरी करते करते अब वर्ष जुलाई २००८ से अपने शब्द बाणों से समाज का इलाज करने में जुटे हैं .
मन से धार्मिक प्रव्रत्ति के डोक्टर श्याम जी अपनी रचनाओं में प्योर हिंदी का इस्तेमाल करना पसंद करते हुए राजभाषा हिंदी ,राष्ट्रिय भाषा हिंदी , मेरी भाषा हिंदी के नारे का प्रचार प्रसार कर रहे हैं , डोक्टर गुप्त छोटी छोटी रचनायें ,छंद,कविताओं और लेखों में समाज को आयना दिखाने की कोशिश करते हैं , डोक्टर गुप्त की रचनाओं में मोसम का हाल हे तो समाज की बदहाली है , देश के रोजमर्रा के हालात हैं ,कहानिया हैं किस्से हैं ,कविता हैं गीत हैं .शब्दों के हेर फेर है धार्मिक दोहे हैं तो धर्म की चोपाई हैं कुल मिला कर डोक्टर श्याम गुप्त ने अपनी कलम से ब्लॉग के ओपरेशन थियेटर में समाज ,विचार और शब्दों की सर्जरी कर ऐसा जोड़ा है के एक खुबसूरत ब्लॉग डॉक्टर श्याम गुप्त की रचनाएँ बन गया है .उनका मानना है के साहित्य ही समाज का दर्पण है और समाज में शुद्धता ला सकता है इसलियें वोह सर्जरी अब केंची और पट्टी से नहीं कम्प्यूटर लेपटोप पर केवल उंगलिया चला कर करने में जुटे हैं और अपने विचारों से समाज का शुद्धिकर्ण करने का प्रयास कर रहे हैं . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
4 comments:
अख्तर भाई आज पहली बार आपके शब्दों में हमें वैमनस्यता की झलक मिली, अपनी अभियक्ति की विधा सबकी अलग होती है. अभी तक आपकी छवि ब्लॉग जगत में एक निष्पक्ष ब्लागर की है कृपया उस पर दाग न लगने दे.
good information you have provided.
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
दंभ भरी परिचय ठीक नहीं लगता ! हर शब्द में आप के दंभ नजर आ रहे है !
मुझे लगता नहीं अख्तर भाई डाक्टर साहब पर कोई लेख लिखने की जरुरत है..आगे सब समझदार हैं
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