यह कैसी दुनिया है कि किसी की टांग खींचो तो तुरंत 50 आदमी आ जाएंगे और कमेंट भी देंगे और सलाह भी देंगे कि आप ऐसा करें और आप वैसा करें और जब आप उनकी सलाह के मुताबिक़ सकारात्मक लेखन करेंगे तो फिर न आपको उनमें से कोई पढ़ने आएगा और न ही आपको कमेंट देने के लिए।
आज यह विषय एक गंभीर चिंतन और आत्ममंथन मांगता है, जिसे हिंदी और मानवता के हित में ईमानदारी से और जल्दी से जल्दी किया जाना ज़रूरी है।
सारी हालत आपके सामने है क्योंकि मेरी तीनों पोस्ट आप हमारी वाणी के बोर्ड पर देख सकते हैं। यह बात सकारात्मक लेखन के लिए ब्लॉगर्स का हौसला पस्त करने के लिए काफ़ी है।
क्या यह सही हो रहा है ?आज यह विषय एक गंभीर चिंतन और आत्ममंथन मांगता है, जिसे हिंदी और मानवता के हित में ईमानदारी से और जल्दी से जल्दी किया जाना ज़रूरी है।
यह एक अंश है उस चर्चा का जो आज की जा रही है चर्चाशाली मंच पर , देखिये पूरी चर्चा मय सुबूतों के
और एक सकारात्मक सन्देश सबके लिए
बोलने से पहले खूब सोच लेने से आदमी बहुत सी बुराईयों से बच जाता है The Word
1 comments:
anvr bhaai aaapki skararmk soch sbhi bimaariyon ka ilaaj hai. akhtAR KHAN AKELA KOTA RAJASTHJAN
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