ये दुनिया है ''रंग-रंगीली ''
मीनाक्षी पन्त जी के ब्लॉग का URL है -http://duniyarangili.blogspot.कॉम''
वे अपने विषय में लिखती हैं -
- minakshi pant
- Delhi, India
- मेरा अपना परिचय आप सबसे है जो जितना समझ पायेगा वो उसी नाम से पुँकारेगा हाँ मेरा उद्द्श्ये अपने लिए कुछ नहीं बस मेरे द्वारा लिखी बात से कोई न कोई सन्देश देते रहना है की ज्यादा नहीं तो कम से कम किसी एक को तो सोचने पर मजबूर कर सके की हाँ अगर हम चाहे तो कुछ भी कर पाना असंभव नहीं और मेरा लिखना सफल हो जायेगा की मेरे प्रयत्न और उसके होंसले ने इसे सच कर दिखाया |
- मीनाक्षी जी का लेखन न केवल सोचने को मजबूर करता है बल्कि आनंदित भी करता है .आज उनके द्वारा प्रस्तुत कविता ''बंसी की धुन ''ह्रदय'' को आनंद रस से सराबोर कर रही हैं -
बंसी की धुन तुम यूँ न बजाया करो |
हमें पल -पल तुम यूँ न सताया करो |
देखो पनघट पे आते है ग्वाले बड़े ,
तुम ऐसे हमें न बुलाया करो
आप भी बंसी की धुन पर झूमिये और उनके ब्लॉग के रंग में रंग जाईये
शिखा कौशिक.
4 comments:
aisee ran rangili post prastut karne ke liye shikha ji ka bahut bahut shukriya.vaise agar aap bura n mane to ek bat kahoon thodi der kar dee hai aapne ye post to ''HOLI ''par prastut honi chahiye thi.
@ मीनाक्षी जी का लेखन न केवल सोचने को मजबूर करता है बल्कि आनंदित भी करता है
सही कहा आपने।
बढिया विश्लेषण ..
सुन्दर कविता को शेयर किया ..आभार ..आपका मेरे ब्लॉग अमृतरस में स्वागत है ..
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