यह जानने के लिए देखें ‘अनवरत‘ पर वकील साहब द्विवेदी जी की मर्माहत कर देने वाली पोस्ट।
http://anvarat.blogspot.com/2011/06/blog-post_22.html
और तुममे से कोई ऐसा नहीं जो जहन्नुम पर से होकर न गुज़रे (क्योंकि पुल सिरात
उसी पर है) ये तुम्हारे परवरदिगार पर हेतेमी और लाज़मी (वायदा) है (71) फिर हम
परहेज़गारों को बचाएँगे और नाफ़रमानों को घुटने के भल उसमें छोड़ दें
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और तुममे से कोई ऐसा नहीं जो जहन्नुम पर से होकर न गुज़रे (क्योंकि पुल सिरात
उसी पर है) ये तुम्हारे परवरदिगार पर हेतेमी और लाज़मी (वायदा) है (71)
फिर हम पर...
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