इस विषय पर चर्चा चल रही है घनघोर पूरे दो दिन से। आस्तिक नास्तिक आपस में गुथे पड़े हैं और आस्तिकों में भी अलग अलग पंथ के लोग हैं। टिप्पणियां हो गई हैं अभी तक 206 और यह शायद एक रिकॉर्ड है।
यह ऐतिहासिक चर्चा चल रही है थाईलैंडवासी डा. दिव्या श्रीवास्तव जी के ब्लॉग पर। आप भी देखिए और जानिए ‘आवागमन के दावों की हक़ीक़त‘
http://zealzen.blogspot.com/2011/06/blog-post_22.html?showComment=1308721446104#c8240670385752030936
इस चर्चा में कई बार ऐसा हुआ कि लोग एक दूसरे से बदतमीज़ी से पेश आने लगे। तब हमने कहा यह कहा कि
@ आदरणीय भाई चंदन कुमार मिश्र जी ! हम सभी की परवरिश अलग अलग माहौल में हुई है, हमने अपनी ज़िंदगी में अलग अलग अनुभव झेले हैं, हम सबकी बुद्धि का स्तर भी अलग अलग है। इसलिए अगर हम एक चीज़ के बारे में अलग अलग नतीजों पर पहुंचते हैं तो यह बिल्कुल स्वाभाविक है।न तो कोई धर्म-मत-संप्रदाय बदतमीज़ी सिखाता है और न ही नास्तिकता। हम सभी एक देश और एक समाज के नागरिक हैं और सभी चाहते हैं कि हमारे समाज में अमन, शांति और भाईचारा बना रहे। इसके लिए हम एक दूसरे को आदर दें। हम अपने विचार कहें और दूसरों के विचार सुनें। तर्क करना भी अच्छी बात है लेकिन किसी के लिए अपमानजनक बोलने की शिक्षा किसी के भी मां-बाप नहीं देते। हम किसी को कुछ दे नहीं सकते लेकिन उसके लिए सम्मान के दो बोल तो बोल ही सकते हैं न ?
यह अच्छी बात है कि लोग इस ब्लॉग पर खुलकर अपने विचार रखते हैं लेकिन व्यक्तिगत आक्षेप चर्चा को बाधित करते हैं।
ब्लॉग मलिका ने इस चर्चा को निर्बाध चलने दिया, इस हेतु उनका आभार !!!
7 comments:
Agree |
dhyan rakha jayega |
aapki shaleenta aur sadhbhavna prashansniy hai.
मरने के बाद ही बतायेंगे हम तो!
सब अपने अधूरे ज्ञान से सिर्फ अन्दाजा लगाते हैं और गलत बयानबाजी करते हैं !
Aap sabhi ka Shukriya .
abhi kewal pdh raha hun, jb samajh me aa jaayega tb muh kholungaa.
@ आदरणीय तिवारी जी ! हम भी बस देख रहे हैं कि यह बहस कब रूकेगी ?
टिप्पणियां हो गई हैं इस बहसबाज़ी में 279 और शायद यह डा. दिव्या श्रीवास्तव जी को अब तक किसी पोस्ट पर मिलने वाली सबसे ज़्यादा टिप्पणियां हैं।
मज़े की बात यह है कि डा. टी. एस. दराल साहब इस पोस्ट पर आई टिप्पणियों की क्वालिटी देखकर अच्छा फ़ील नहीं कर रहे थे।
280 कमेंन्ट आ चुके हैं शायद 300 तक भी पहुंच जाए ।
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