बहुत सताया हमारी वाणी ने लेकिन आज इससे मुक्ति मिल ही गई । इसी के साथ इसकी बुनियाद भी सरक गई । जब इसका मार्गदर्शक मंडल बना था तो इसमें शामिल लोगों को देख कर हमने तभी कह दिया था कि अब इसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है । अपने लगाए पौधे को बर्बाद होते देखना दुखद है । हमने इसे बचाने की कोशिश भरपूर की लेकिन अफसोस कि गंदी राजनीति और लालच ने इनके दिमाग सुन्न कर दिया है । यह इसलिए लिखा है ताकि लोग याद रखें कि नेक सलाह न मानता ग़लत है और गलती का अंजाम तबाही के सिवा कुछ और आज तक हुआ नहीं । जितनी बार आज़माया जाएगा नतीजा यही सामने आएगा।
देखिये :
1 comments:
sahi kiya vaise bhi jahan man n mile vahan tike rahne ka koi matlab nahi hai.
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