मा. पं. नारायणदत्त तिवारी जी को मैं अपना राजनीतिक गुरू मानता हूँ। सभी लोग जानते हैं कि उन्होने देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान किया।
...मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि पं. नारायणदत्त तिवारी जैसा विनम्र राजनीतिज्ञ लाखों में एक होता है।
जो घटनाक्रम तिवारी जी के साथ हुआ वह वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण है।
...अब
स्व.शेरसिंह की पुत्री उज्जवला की बात करें तो सरासर गलती उज्जवला की ही
है। एक शादीशुदा महिला ने उस समय के जाने-माने राजनीतिज्ञ को अपने जाल
में फँसाया और उसके साथ हमबिस्तर हुई।
क्या यह सच नहीं है ?
क्या तिवारी
उसके घर बलात्कार करने गया था ?
इस सेक्स के खेल में यदि सन्तान हो गई तो
गलती किसकी है ?
4 comments:
सार्थक लिखा है आपने .आभार
भारतीय नारी
आभार!
सिक्के के दोनों पहलुओं पर नजर डालना जरूरी है।
एन. डी. तिवारी एक बड़ी राजनीतिक हस्ती हैं। उनसे जुड़कर जो फ़ायदे उज्जवला ने उठाये हैं, उनकी ख़ातिर उसने उस नुक्सान की अनदेखी कर दी, जो उसे आज पहुंच रहा है।
लालच का अंजाम आज दोनों को बुढ़ापे में मिल रहा है। करते मां बाप हैं और उनके कर्मों को भुगतती है उनकी औलाद। रोहित को देखकर यह बात बख़ूबी समझ में आ जाती है।
सवाल यह उठता है कि उज्ज्वला ने बिना शादी के केवल वादे पे शारीरिक सम्बन्ध बनाये ही क्यों?
गलत तरीके से बनाये रिश्तों का अंजाम यही हुआ करता है जो रोहित और उज्ज्वला के मामले में हुआ | रोहित का दर्द अपनी जगह सही है लेकिन उसके ज़िम्मेदार उसके माता और पिता दोनों बराबर हैं |
यह समस्या केवल उज्ज्वला की ही नहीं है | आज हर रोज़ शादी के वादे पे शारीरिक संबंधों कि खबरें आया करती हैं | ना जायज़ औलाद का कूड़े दान में मिलना, या गर्भपात करवाना भी आम हो गया है | ऐसी गलती का ज़िम्मेदार केवल महिला या पुरुष को बना देना सही नहीं |
शादी के पहले शारीरिक सम्बन्ध बना लेना दोनों कि मिली जुली गलती है और सजा मिलती है जन्म लेने वाली औलाद को | इसका हल यही है सभी लोग जायज़ और नाजायज़ का फर्क समझें | और ऐसा कोई काम न करें जिसे समाज के सामने सर उठा के बता न सकें |
इंसान जो कुछ करे, यह पहले सोच ले कि इसका अंजाम क्या होगा ?
क्योंकि एक दिन उसके सामने अंजाम आकर रहेगा, तब क्या क़ियामत गुज़रेगी ?
कितनी ज़िल्लत और रूसवाई होगी ?
सारी उम्र की कमाई हुई इज़्ज़त को बट्टा भी लगेगा और दुश्मनों को ठठ्ठा करने का मौक़ा भी मिलेगा।
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