यह हमारी एक पोस्ट भी है और एक कमेंट भी।
वकील साहब रणधीर सिंह ‘सुमन‘ जी की एक पोस्ट पर नज़र पड़ी तो उसके जवाब में एक इस शीर्षक से एक पोस्ट लिखनी पड़ गई।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/06/blog-post_30.html
इसी पोस्ट का एक अंश उनकी पोस्ट पर पेस्ट कर दिया तो एक कमेंट भी हो गया।
http://loksangharsha.blogspot.com/2011/06/blog-post_30.html?showComment=1309486543665#c3473746310879623883
इस पोस्ट में वह कह किसी भिक्षु के हवाले से कह रहे हैं कि
'देश और विदेशों में कोई हिन्दू नहीं, यह शब्द केवल कागजों तक ही सीमित है।'
बताइये क्या आप उनसे सहमत हैं ?
1 comments:
जमाल साहब उनका हिन्दू शब्द कितना संकीर्ण या कितना व्यापक है वो ही जाने ||
मुझे तो यह पता है की कई मुल्क आज भी यहाँ के बाशिंदों को हिन्दू नाम से जानते हैं |
भिक्षु के भगवान् भी हमारे २४ वें अवतार हैं ||
और अगर उन्हें गर्व है नव-पंथ होने का |
तो उनसे भी बाद के कई नए पंथ/धर्म अपनी पूरी अच्छाइयों के साथ मौजूद हैं दुनियां में ||
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