हमारे लिए आज यह क्षण एक बेहद ख़ुशी का क्षण है। यह ख़ुशी ठीक वैसी ही है जैसी कि बेटा होने की ख़बर मिलने पर मां-बाप को होती है। यह समाचार पत्र निश्चय ही सफलता का एक नया रिकॉर्ड बनाएगा क्योंकि इसमें हरीश सिंह जी का फ़ौलादी इरादा भी शामिल है और ख़ुद हमारी दुआ भी। हम इसकी सफलता के लिए तभी दुआ कर चुके हैं जबकि प्रिय हरीश सिंह जी ने हमें यह इत्तिला दी थी कि वह जल्दी ही ब्लॉग की ख़बरें देने वाला एक नया ब्लॉग शुरू करेंगे।
उनसे हमारे संबंध आत्मीय हैं और उनका प्रेम ही है कि उन्होंने हमें अपने नए समाचार पत्र में योगदान के लिए आमंत्रित किया, जिसे हमने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया है।
ब्लॉगिंग के प्रति उनकी लगन देखकर हम कह सकते हैं कि
‘हरीश सिंह, तुसी ग्रेट हो जी‘
तो क्यों न इस ख़ुशी में कुछ मिठाई-शिठाई हो जाए ?
यह लीजिए जनाब मुंह मीठा कीजिए हमारी तरफ़ से
तो क्यों न इस ख़ुशी में कुछ मिठाई-शिठाई हो जाए ?
यह लीजिए जनाब मुंह मीठा कीजिए हमारी तरफ़ से
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2 comments:
गुरु जी, यह बन्दा आपके दुआ और आशीर्वाद का हमेशा आकांक्षी रहेगा. विचारो को लेकर भले ही हमारे और आपके बीच प्रतिद्वंदिता हो पर आप हमारे बड़े हैं और हमेशा ही रहेंगे. व्यक्तिगत रूप से मै आपका आदर, सम्मान करता हु. क्योंकि आपसे हमारा दिली जुडाव है. मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है की आज ब्लॉग जगत में मैं यदि कही थोड़ी सी जगह बना पाया हु तो उसकी वजह आप ही है. आपकी वजह से bblm शुरू हुआ, और आपके द्वारा दिए गए गुरुमंत्र को मैं आज तक आत्मसात करता हूँ. आपका आशीर्वाद रहा तो यह मंच भी सफल होगा. आप विश्वास रखे मैं इस पत्रकारिता को भी निष्पक्ष रखूँगा. बस आशीर्वाद बनाये रखे.
@ आदरणीय हरीश जी ! आज आप जहां भी हैं, आप अपनी लगन और अपनी मेहनत की बदौलत हैं। आपमें चीज़ों को बहुत जल्दी कैच कर लेने की सलाहियत है। हमने ‘लखनऊ ब्लॉगर्स एसोसिएशन‘ पर आपसे कहा था कि हमारी पॉलिसी वैल डिज़ाइन्ड है, जिसे हमने आज तक किसी को नहीं सिखाया है, लेकिन अगर आप चाहें तो हम आपको सिखा सकते हैं।
हमने देखा कि बहुत जल्दी आप हमारे कुछ सिखाए बिना ही बहुत सी गहरी बातें सीख गए। हमने तो मात्र इशारा किया था और आप इशारे में ही समझ गए और सच बात यह है कि समझदार को इशारा ही बहुत होता है।
इसके बावजूद भी आप सार्वजनिक रूप से हमें अपना गुरू कहते हैं तो यह भी आपका ही बड़प्पन है। आपके अंदर विनय है, तभी आप ऐसा कह सकते हैं और आपका यह गुण आपको सदा बुलंदी की ओर ही ले जाएगा।
हमें आप कभी अपने प्रतिद्वंदी नहीं लगे और हक़ीक़त तो यह है कि कोई भी हमें अपना प्रतिद्वंदी नहीं लगा। बहुत जल्द मौत आ जाएगी और बस ...।
जब तक जी रहे हैं, आपके प्यार के सहारे जी रहे हैं। जब मरेंगे तो भी आपके ही कंधों पर यह जनाज़ा उठेगा। जिसे मरना है वह क्या किसे अपना प्रतिद्वंदी माने और क्यों ?
आप हमारे किसी विचार से असहमत हो सकते हैं और हो सकता है कि आपका विचार हमारे विचार से बेहतर हो। बहुत बार ऐसा होता है कि कम उम्र लोगों के विचार अपने बड़ों से बेहतर होते हैं। यह असहमति हमारे संबंधों का अंत कभी नहीं करेगी। हम तो एकतरफ़ा भी रिश्ते निभा सकते हैं भाई !!!
आपने इतना आदर सम्मान दिया, इसके लिए शुक्रिया !!!
हमारा आशीर्वाद भी आपके साथ है और हम ख़ुद भी आपके साथ हैं।
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