ZEAL: 'लाश' खाने के शौक़ीन हैं आप ?
डा. दिव्या जी का स्टाइल यह है कि जो उनके जी में आता है, वह कल्पना कर लेती हैं और फिर उस कल्पना को सच मान लेती हैं। इसके बाद वे उसे लेकर दो चार पोस्ट तैयार कर लेती हैं और फिर उन्हें अपने ब्लॉग पर छापती रहती हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी उन्होंने इस्लामी क़रबानी पर ऐतराज़ जताया और निहायत भौंडे अंदाज़ से जताया। उन्हें पता था कि उनकी इस घिनौनी हरकत को हम हरगिज़ पसंद नहीं करेंगे, लिहाज़ा उन्होंने हमारी शख्सियत पर भी कीचड़ उछालना ज़रूरी समझा और जब हमने बताया कि जो वह समझती हैं , हक़ीक़त उसके खि़लाफ़ है तो उन्होंने हमारे कमेंट को पब्लिश ही नहीं किया। वह कमेंट यह है -
डाक्टर दिव्या श्रीवास्तव साहिबा !
1- बदगुमानियों का तो कोई इलाज होता ही नहीं है। हम ने पोपट लाल नाम के किसी ब्लॉगर के बारे में आज ही सुना है और किलर झपाटा बनकर भी हम नहीं लिखते इसे किलर झपाटा जी भी जानते हैं और वह ईश्वर भी जो कि हरेक कर्म का साक्षी है।
अश्लील गालियां हमने अपने किसी विरोधी को आज तक नहीं दीं और न ही हम इसे जायज़ समझते हैं।
झूठ हम बोलते नहीं और सच का यक़ीन आप न करें तो आपकी मर्ज़ी।
किलर झपाटा जी को हमने एक बार आपको गाली देने से मना किया था तो उन्होंने इसी जुर्म में खुद हमें और हमारे परिवार को कई दिनों तक गंदी गालियां बकी थीं। इसे भी शायद आपने देखा होगा।
2-आपने हमारे किस लेख से समझा कि हम तिलमिला गए हैं ?
तिलमिलाहट और झल्लाहट तो आपके लेख और आपकी टिप्पणियों में नज़र आ रही है। इसी झल्लाहट में आप यह भी न देख पाईं कि कायस्थ भी मांस खाते हैं।
आपने जिस जाति में जन्म लिया उसी को राक्षस और दरिंदा घोषित कर दिया ?
समुद्रतटीय प्रदेशों में बसने वाले हिंदुओं का आहार भी मछली आदि जलीय जीव ही हैं। आपको कुछ भी कहने से पहले भारत की संस्कृति और भारतीयों के खान-पान की विविधता को भी जान लेना चाहिए था।
आज आपकी टिप्पणी देखी तो इतना लिखना ज़रूरी समझा।
अब चाहे आप इसे छापना या मत छापना।
ख़ैर आज बक़रीद है और आज ब्लॉगर्स मीट वीकली की 16 वीं क़िस्त भी है।
आपकी पोस्ट भी इसमें सुशोभित है,
तशरीफ़ लायें।
साभार !!!
डा. दिव्या जी का स्टाइल यह है कि जो उनके जी में आता है, वह कल्पना कर लेती हैं और फिर उस कल्पना को सच मान लेती हैं। इसके बाद वे उसे लेकर दो चार पोस्ट तैयार कर लेती हैं और फिर उन्हें अपने ब्लॉग पर छापती रहती हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी उन्होंने इस्लामी क़रबानी पर ऐतराज़ जताया और निहायत भौंडे अंदाज़ से जताया। उन्हें पता था कि उनकी इस घिनौनी हरकत को हम हरगिज़ पसंद नहीं करेंगे, लिहाज़ा उन्होंने हमारी शख्सियत पर भी कीचड़ उछालना ज़रूरी समझा और जब हमने बताया कि जो वह समझती हैं , हक़ीक़त उसके खि़लाफ़ है तो उन्होंने हमारे कमेंट को पब्लिश ही नहीं किया। वह कमेंट यह है -
डाक्टर दिव्या श्रीवास्तव साहिबा !
1- बदगुमानियों का तो कोई इलाज होता ही नहीं है। हम ने पोपट लाल नाम के किसी ब्लॉगर के बारे में आज ही सुना है और किलर झपाटा बनकर भी हम नहीं लिखते इसे किलर झपाटा जी भी जानते हैं और वह ईश्वर भी जो कि हरेक कर्म का साक्षी है।
अश्लील गालियां हमने अपने किसी विरोधी को आज तक नहीं दीं और न ही हम इसे जायज़ समझते हैं।
झूठ हम बोलते नहीं और सच का यक़ीन आप न करें तो आपकी मर्ज़ी।
किलर झपाटा जी को हमने एक बार आपको गाली देने से मना किया था तो उन्होंने इसी जुर्म में खुद हमें और हमारे परिवार को कई दिनों तक गंदी गालियां बकी थीं। इसे भी शायद आपने देखा होगा।
2-आपने हमारे किस लेख से समझा कि हम तिलमिला गए हैं ?
तिलमिलाहट और झल्लाहट तो आपके लेख और आपकी टिप्पणियों में नज़र आ रही है। इसी झल्लाहट में आप यह भी न देख पाईं कि कायस्थ भी मांस खाते हैं।
आपने जिस जाति में जन्म लिया उसी को राक्षस और दरिंदा घोषित कर दिया ?
समुद्रतटीय प्रदेशों में बसने वाले हिंदुओं का आहार भी मछली आदि जलीय जीव ही हैं। आपको कुछ भी कहने से पहले भारत की संस्कृति और भारतीयों के खान-पान की विविधता को भी जान लेना चाहिए था।
आज आपकी टिप्पणी देखी तो इतना लिखना ज़रूरी समझा।
अब चाहे आप इसे छापना या मत छापना।
ख़ैर आज बक़रीद है और आज ब्लॉगर्स मीट वीकली की 16 वीं क़िस्त भी है।
आपकी पोस्ट भी इसमें सुशोभित है,
तशरीफ़ लायें।
साभार !!!
3 comments:
आदरणीय जमाल साहब
एक पोस्ट लिखी है | कुछ सवाल पूछे हैं कुर्बानी से सम्बंधित |
कृपया समाधान करें | http://ret-ke-mahal-hindi.blogspot.com/2011/11/blog-post_08.html ,
but i request you to please read the post before posting comments
बहुत सुन्दर प्रविष्टि.। मेरे नए पोस्ट 'आरसी प्रसाद. सिंह" पर आकर मुझे प्रोत्साहित करें ।.बधाई ।
सॉरी जमाल भाई मैंने नहीं बल्कि मुझे बदनाम करने वाले दुष्टों ने आपको गालियाँ बकी थीं। मैं तो हमेशा मज़ाक ही करता हूँ भाई।
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