फेसबुक, गूगल की आपत्तिजनक सामग्री पर कोर्ट की रोक

ये आदेश कोर्ट ने 20 दिसंबर को मुफ्ती ऐजाज अरशद कासमी द्वारा दायर सिविल वाद पर जारी किया। कासमी की तरफ से ये वाद वकील संतोष पांडे ने दायर किया।
अदालत ने अर्जी पर सुनवाई करते हुए 22 सोशल नेटवर्किंग साइट्स को समन जारी करते हुए 24 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही वादी द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों और सीडी को सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश भी दिया।
जज ने कहा कि मैंने वादी द्वारा पेश दस्तावेजों, तसवीरों और सीडी को देखा। ये आपत्तिजनक, बदनाम करने वाले और हर समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाले हैं। लिहाजा प्रथम दृष्ट्या ये मामला वादी के पक्ष में दिखाई देता है। अगर प्रतिवादियों को आपत्तिजनक सामग्री हटाने का निर्देश न दिया गया तो न सिर्फ वादी बल्कि हर उस शख्स की भावनाएं आहत होंगी जिसकी धार्मिक आस्थाएं हैं और इस नुकसान की भरपाई पैसे से नहीं की जा सकेगी।
उल्लेखनीय है कि इंटरनेट सामग्री की निगरानी की बहस चल रही है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स की विषयवस्तु, लोगों के अपने विचारों पर निर्भर होती हैं। ये लोगों को अभिव्यक्ति का प्लेटफॉर्म देती हैं। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल पहले ही वेबसाइट वालों से इस सामग्री की निगरानी की बात कह चुके हैं।
Source : http://adaalat.in/?p=31793
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