तीसरा खम्बा ब्लॉग पर मिलती है पत्नी से परेशान पतियों को सलाह एक नमूना आप भी देखें अगर आप भी किसी क़ानूनी समस्या से परेशान है. तब आप भी सलाह (यहाँ पर क्लिक करके) ले सकते है ऐसा कहना है. वकील श्री दिनेश राय दिवेदी जी का.
Wednesday 7 December 2011
गिरफ्तारी वारंट की धमकियों से न घबराएँ
इलाहाबाद से अपराजित ने पूछा है -
मेरी
शादी मई 2005 में हुई थी, मेरे एक बेटी है। पत्नी अब तक कुल ४-५ महीने
मेरे साथ आ कर रही है, उस के बाद से ससुराल में ही है, लेने जाते हैं तो
आती नहीं। अदालत में कहती है मैं पति के साथ रहना चाहती हूँ लेकिन आती नहीं
है। पत्नी ने धारा 498 अ भारतीय दंड संहिता और धारा 125 दंड प्रक्रिया
संहिता के मुकदमे कर दिए हैं हम लोगों ने 498 अ के मुकदमे में जमानत ले ली
है। पत्नी ने खर्चे की मांग की 1500 रुपए प्रतिमाह का आदेश हुआ। मैं देने
के लिए तैयार हूँ, फिर भी क्या हमलोगों को जेल भेजा जा सकता है? ससुराल
वाले धमकी देते हैं कि नेताओ का लैटर ले चुका हूँ मैं वारंट निकलवाउंगा,
क्या ये सही है? क्या इस तरह का कानून है? मैं खर्चा देता हूँ तो भी क्या
मुझे परेशानी होगी? अगर मैं खर्चा देता रहता हूँ तो क्या दूसरी शादी कर
सकता हूँ?
उत्तर -
अपराजित जी,
आप
की पत्नी के आप के पास आ कर न रहने का क्या कारण है? यह आप ने नहीं बताया
है। आप को उस कारण को खोज कर उस का निवारण करना चाहिए जिस से आप की पत्नी
और बेटी आप के साथ आ कर रह सके। आप की पत्नी आप के पास आ कर रहने की कहती
है और आती नहीं है तो अदालत मे चल रहे धारा 125 के मुकदमा जिस अदालत में चल
रहा है उस के न्यायाधीश/मजिस्ट्रेट को कहिए कि पत्नी यहाँ तो कहती है कि
रहने को तैयार हूँ लेकिन लेने जाते हैं तो नहीं आती है, इसे अदालत से सीधे
मेरे साथ भेजा जाए। न्यायाधीश इस के लिए आदेश देंगे और पत्नी को आप के साथ
जाने को कहेंगे। इस बात को न्यायालय की पत्रावली में भी दर्ज करेंगे। फिर
भी पत्नी आप के साथ नहीं आती है तो यह आदेश आप के बाद में काम आएगा, इस की
प्रमाणित प्रतिलिपियाँ ले कर अपने पास सुरक्षित रखिए।
पत्नी
आप के साथ आ कर नहीं रहती है तो आप ने उसे लाने के लिए क्या कार्यवाही की
यह आपने नहीं बताया है। आप को धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत
दाम्पत्य अधिकारों की प्रत्यास्थापना के लिए आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए था।
यदि आप ने ऐसा आवेदन प्रस्तुत नहीं किया तो अब तुरंत कर देना चाहिए।
न्यायालय इस आवेदन में डिक्री पारित कर देगी। फिर भी पत्नी आप के साथ आ कर
नहीं रहती है तो आप तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इस आवेदन पर
आप को विवाह विच्छेद (तलाक) की डिक्री प्राप्त हो जाएगी।
धारा
498 अ के मामले में आप को जमानत मिल गई है और आप मुकदमे की हर पेशी पर
न्यायालय में उपस्थित होते रहते हैं या किसी अत्यावश्यक कारण से अदालत नहीं
जा सकते हैं और उस दिन आप का वकील आवेदन देकर आप की उपस्थिति से अभिमुक्ति
प्राप्त कर लेता है तो न्यायालय कोई वारन्ट आप की गिरफ्तारी के लिए जारी
नहीं कर सकता। धारा 125 के मामले में भी यदि आप आदेशित भरण पोषण की राशि
अपनी पत्नी को अदा करते रहते हैं तो कोई वारंट आप के विरुद्ध जारी नहीं
किया जा सकता। यदि वारंट जारी करने के लिए कोई आवेदन न्यायालय के समक्ष
प्रस्तुत होता भी है तो पहले आप को सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाएगा कि आप
की ओर भरण पोषण की कोई राशि अदा की है अथवा नहीं। इस के लिए आप प्रतिमाह
अथवा कुछ माहों की राशि एक मुश्त न्यायालय में ही जमा करवा सकते हैं। इस से
भरण पोषण अदा करने का रिकार्ड न्यायालय की पत्रावली पर उपलब्ध रहेगा और आप
के विरुद्ध कोई गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं हो सकेगा। यदि आप न्यायालय में
उपस्थित होते रहते हैं और भरण पोषण की राशि नियमित रूप से अदा करते रहते
हैं तो आप को वारंट की धमकियों से घबराने की आवश्यकता नहीं है।
पत्नी
को भरण पोषण देने मात्र से आप दूसरा विवाह करने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं।
आप अपनी पत्नी के विरुद्ध विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त किए बिना दूसरा
विवाह नहीं कर सकते। यदि करते हैं तो यह भा.दं.संहिता की धारा 494 के
अंतर्गत अपराध होगा और उस के लिए आप को सात वर्ष तक के कारावास और जुर्माने
से दंडित किया जा सकता है।
भगवान न करे किसी पत्नी को अपने पति के साथ ऐसा सलूक करने की नौबत आये अथवा कोई पति अपनी पत्नी द्वारा इस तरह परेशान किया जाय (जैसी भी स्थिति हो)।
यह प्यार क्या है ?
गुरुवर जी, आपके लिए एक लिंक दे रहा हूँ. आप हिंदी प्रेमी है. मेरे इस लिंक पर आज ही आई एक टिप्पणी ने कुछ लोगों को अपनी बेबाकी से की टिप्पणी से आईना दिखा दिया. जो हिंदी की हिमायत करते हैं. मगर पालन करते नहीं हैं यानि जैसे हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और. आप ही उस टिप्पणीकर्त्ता को अच्छा जवाब दे सकते हैं. उस टिप्पणी करने वाले को हम जवाब देने में असमर्थ है. उन्होंने हमें फेसबुक पर और अलग से ईमेल भेज जवाब देने के लिए कहा है. आप मेरी मदद करें.
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