हम
दोस्त के नाम पर कलंक है. चलो कुछ तो है. हम तो खुद को किसी काबिल समझते
ही नहीं थें. आज फख्र हो रहा है कि हम कलंक के काबिल तो है.
लो
दोस्तों ! मैं आपको पहले ही कहता था कि मैं अनपढ़ और गंवार/ सिरफिरा इंसान
किसी भी काबिल नहीं हूँ. मगर आप अपने प्यार और स्नेह से मुझे खजूर के पेड़
पर चढाते रहे. हम आप सब अनेकों बार कहते रहे कि आप तुच्छ इंसान को तुच्छ ही
रहने दो. हमें खजूर के पेड़ पर मत चढाओं. हममें भी अनेकों अवगुण है. हम भी
गलतियों के पुतले है. हमसे भी गलतियाँ होती है. मगर आप तो हमारी चापलूसी
करते थें शायद. फेसबुक के प्रयोगकर्त्ता हमारे इस लिंक
(जरा देखें-http://www.facebook.com/note.php?note_id=271490346234943)पर
टिप्पणी की है. श्री गोपाल झा जी (http://facebook.com/gopaljha73) तो यह
कहते हैं कि "सिरफिरा जी आप काफी घमंडी है और इतना घंमड ठीक नहीं होता है
दोस्ती के लिये आप दोस्त के नाम पर कलंक है. आप लोग को भ्रमित करते है.
जिनका स्वयं (Gopal के बारे में) के बारें में कहना है कि-निगान्हे निगाहों
से मिला कर तो देखो,हम से रिश्ता बना कर तो देखो. अपनी प्रशंसा मैं स्वयं
कैसे करूँ ? निन्दा करना मुझे आता नहीं. अब बताए कौन सही कह रहा है और कौन
झूठ कह रहा है. इसका फैसला कैसे करूँ ? कुछ मुझे रास्ता दिखाए आप सभी.
दोस्तों,
मुझे तो लगता है कि मुझे अपना बहुत बड़ा आलोचक मिल गया. आपकी क्या राय है ?
अब देखिये आलोचक द्वारा कुछ देने पर समर्थकों का भडकना स्वाभाविक है.
जैसे-सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ "जन लोकपाल" कानून बनाने की नीयत
अच्छी ना होने के श्री अन्ना हजारे के ब्यान पर सरकार के मंत्रियों ने
भटकना शुरू कर दिया. कुछ बुध्दिजीवी वर्ग के नेता तो असभ्य और सभ्य भाषा
में फर्क तक भूलकर लगे आरोप लगाने अन्ना टीम पर. इसलिए दोस्तों अपनी बात
कहते हुए सयम रखना. लोगों को भी पता चले कि सिरफिरा के दोस्त सभ्य भाषा में
अपने विचारों की अभिव्यक्ति करना जानते है. आप मेरे एक नौजवान(इनकी उम्र
कम और थोडा जवानी का जोश भी है) मित्र ने ऑनलाइन वार्तालाप में गलती कर दी
थी. इसलिए उसकी वार्तालाप भी डाल रहा हूँ. पूरा लेख यहाँ पर क्लिक करके पढ़ें.
1 comments:
"जन लोकपाल" तिल का बना ताड़
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