[खुला विरोध ]
अविनाश वाचस्पति जी ,
नमस्कार ,
आपकी इस पोस्ट की मैं निंदा करती हूँ .
[Posted on by अविनाश वाचस्पतिin Labels: भारत की जीत]
बस कमी यह रह गई
वह नहीं नाचीं
तबीयत नासाज रही जरासी।''
सोनिया जी एक महिला [मह+इलच+आ=जो श्रेष्ठ है ] हैं .उनके प्रति आपके ये उद्गार समस्त नारी जाति को अपमानित करते प्रतीत होते हैं .व्यंग्य की भी एक सीमा होती है .............बस भगवती देवी शर्मा जी के शब्दों में -"नारी की गरिमा को गिराने में घाटा ही घाटा है"
शिखा कौशिक
और जिस वक़्त आसमान का छिलका उतारा जाएंगा
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और जिस वक़्त आसमान का छिलका उतारा जाएंगा (11)
और जब दोज़ख़ (की आग) भड़कायी जाएंगी (12)
और जब बेहिश्त क़रीब कर दी जाएंगी (13)
तब हर शख़्स मालूम करेगा कि वह क्...
2 comments:
sahi kaha .
aurat ki izzat ki jani chahiye .
yahan bhi dekhen :
ब्लॉगर्स मीट वीकली (35) , पुरुष नारी सम्बन्ध तन मन और आत्मा तीनों स्तर पर
http://drayazahmad.blogspot.in/2012/03/35.html
avinash ji jaise prabuddh bloggar ko apne par kuchh ankush to laga hi lena chahiye kyonki nari jati ke khilaf aisee behuda post ko koi bhi prabuddh bloggar izazat nahi dega.
क्या यही लोकतंत्र है?
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