कुमार राधारमण जी बता रहे हैं
वज्रासनःकब करें,कब नहीं ?
भोजन के बाद यदि खाना व्यवस्थित ढंग से पच जाए तो शरीर की असंख्य बीमारियां स्वत: ही नष्ट हो जाती हैं। इसके विपरित यदि किसी व्यक्ति को पाचन से संबंधी कोई परेशानी है तो उसे कई प्रकार के रोग होने की पूरी संभावनाएं रहती हैं। भोजन पचाने और पाचन तंत्र को व्यवस्थित रखने के लिए एक सबसे अच्छा योगासन बताया गया है। वह आसन है वज्रासन।
खाने के बाद कुछ देर विश्राम करें। फिर किसी शांत एवं समतल स्थान पर कंबल या अन्य कोई आसन बिछाएं। इसके बाद घुटनों को मोड़कर इस तरह से बैठें कि पैरों के पंजे पीछे की ओर हो जाएं और नितंब दोनों एडिय़ों के बीच में आ जाएं। दोनों पैरों के अंगूठे आपस में मिलाकर रखें। एडिय़ों में अंतर भी बनाए रखें। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। पीछे की ओर न झुकें और शरीर सीधा रखें। अब हाथों को और शरीर को ढीला छोड़ दें। कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद करें और ध्यान सांस की ओर रखें। इस अवस्था में कुछ देर बैठे रहें। ऐसा प्रतिदिन भोजन के बाद किया जाना चाहिए।
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यह पोस्ट पढ़कर हमने कहा :
पैगम्बर हजरत मौहम्मद साहब स. ने फ़रमाया है कि 'नमाज़ में शिफा है'
नमाज़ में खड़े होने से लेकर बैठने तक जितनी भी हालतें हैं वे सभी हालतें हिन्दी में आसन कहलाती हैं. जिस तरीके से नमाज़ में बैठा जाता है उसे हिंदी में वज्रासन कहा जाता है. वज्रासन के बहुत फ़ायदे बताये जाते हैं लेकिन नमाज़ में जिस तरीके से बैठा जाता है उसके फायदे वज्रासन से भी ज्यादा हैं. इसकी वजह यह है कि वज्रासन में तो योगी अपने दोनों पैर के पंजे पीछे निकाल देता है जबकि नमाज़ी अपने दाहिने पैर का पंजा ज़मीन पर ही रखता है. इस तरह पैर के अंगूठे पर ख़ास तौर पर प्रेशर पड़ता है. एक्यूप्रेशर और सु-जोक के मुताबिक़ पैर के अंगूठे का ताल्लुक़ दिमाग़, आँख, नाक,कान,गला और गर्दन से होता है. इस तरह बैठने से पैर के तलवों और पिंडलियों पर भी दबाव थोडा ज्यादा और बेहतर तरीके से पड़ता है.
2 comments:
सुन्दर प्रस्तुति ।
नवसंवत्सर की शुभकामनायें ।।
ब्लॉगर के लिए,एक अच्छी टिप्पणी और अखबार में छपने के अलावा,सबसे ज्यादा संतुष्टि का विषय ऐसी पहल ही होती है। आभार।
कृपया krraman@rediffmail.com पर सम्पर्क करें।
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