नवगीत की पाठशाला: १५. झरते हरसिंगार: उजसित शैशव जीवन सुरभित हुलसित मन आगार शेफाली शाखों सा झूमे झरते हरसिंगार मलयानिल सुरभित नासाग्रा होंठ वसन्ती कोंपल पल पल पुलकित स्पर्...
और जब ये लोग जंजीरों से जकड़कर उसकी किसी तंग जगह मे झोंक दिए जाएँगे तो उस
वक़्त मौत को पुकारेंगे
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(ये सब कुछ नहीं) बल्कि (सच यूँ है कि) उन लोगों ने क़यामत ही को झूठ समझा है
और जिस शख़्स ने क़यामत को झूठ समझा उसके लिए हमने जहन्नुम को (दहका के) तैयार
क...






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