‘ब्लॉग की ख़बरें‘ हिंदी ब्लॉग जगत का सबसे पहला समाचार पत्र है जो ब्लॉग की ख़बरें देता है। निष्पक्षता इसकी ख़ासियत है। ब्लॉग जगत की ताज़ा घटनाओं सबसे मशहूर घटना यह है कि थाईलैंडवासी डा. दिव्या ने भारतीय संविधान को लेकर एक पोस्ट लिखी जिसका समर्थन दिवस गौड़ ने किया। शिल्पा मेहता जी ने इसका संज्ञान लिया और अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि ‘यह संविधान का अपमान है। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।‘
शिल्पा जी ने केवल संविधान के अपमान के एक बिंदु पर बहस की है लेकिन इस बात को जानबूझ कर नज़रअंदाज़ कर दिया कि इस पोस्ट में ‘अब्राहमिक रिलीजन‘ को भी गाली दी गई है।
ज़ील ब्लॉग का मक़सद सिर्फ़ नफ़रत फैलाना है।
इस संबंध में तीन पोस्ट्स पर नज़र डालना ज़रूरी है।
1. भारत देश के गांधी कितने घातक ? - डा. दिव्या श्रीवास्तव, थाईलैंड से
2. I obhect. - शिल्पा मेहता, मुंबई , भारत से
3. क्या वाक़ई स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है ? - डा. दिव्या श्रीवास्तव, थाईलैंड से
ये पोस्ट्स बताती हैं कि देश के गौरव पर चोट करने वाले तत्व हिंदी ब्लॉगिंग में किस दर्जे पर सक्रिय हैं और देशप्रेमियों को उनसे किस प्रकार मुक़ाबला करना पड़ता है ?
क़ाबिले ऐतराज़ पोस्ट का फ़ोटो भी आइन्दा के लिए सुरक्षित कर लिया गया है।
जिस नियाज़ अहमद का फ़ेसबुक लिंक डा. दिव्या ने अपनी पोस्ट में दिया है, उसके अकाउंट में अब वह कटेंट नहीं है। लगता है कि उसने डर कर कटेंट मिटा दिया है। हो सकता है कि दिव्या जी भी मिटा दें। जिन पोस्ट्स पर दिव्या जी को फ़ज़ीहत झेलनी पड़ी, ऐसी कई पोस्ट्स वह डिलीट कर चुकी हैं। ऐसे दर्जनों कमेंट्स भी वह डिलीट कर चुकी हैं। शिल्पा जी ने उनकी पोस्ट का फ़ोटो न लिया होगा। सो यह काम हिंदी ब्लॉगर्स के हित में ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ ने अंजाम दिया है।
नियाज़ अहमद की भाषा शैली का अध्ययन किया गया तो वह पूरी तरह उन लोगों से मैच करती है जो कि कांग्रेस, नेहरू ख़ानदान और गांधी को कोसने का तथा अंग्रेज़ों से न लड़ने का इतिहास रखते हैं। बेशुमार लोग छद्म और फ़र्ज़ी आईडी बनाकर फ़ेसबुक पर और ब्लॉगिंग में नफ़रत का ज़हर फैला रहे हैं।
ब्लॉग जगत के विश्वसनीय सूत्रों ने संदेह जताया है कि दिवस गौड़ का प्रोफ़ाइल भी छद्म है।
इस रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान एक दिग्गज ब्लॉगर ने हमें फ़ोन किया और यह संदेह जताया है कि ऐसा लगता है कि अब ज़ील ब्लॉग का संचालन डा. दिव्या के बजाय कोई पुरूष ही कर रहा है। इस संबंध में उन्होंने कुछ सुराग़ भी दिए हैं।
इस तरह का संदेह ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ की एक पोस्ट पर एक महिला ब्लॉगर भी जता चुकी हैं।
इन दो ब्लॉगर्स के नज़रिये को सामने रखते हुए अब हमें भी पुनर्विचार करना होगा।
बहरहाल हिंदी ब्लॉग जगत को ख़बरदार रहना होगा कि धर्म और संविधान की खिल्ली उड़ाकर आपस में नफ़रत की दीवारें खड़ी करने वाले तत्व भी ब्लॉगर्स के रूप में सक्रिय हैं।
शिल्पा जी ने केवल संविधान के अपमान के एक बिंदु पर बहस की है लेकिन इस बात को जानबूझ कर नज़रअंदाज़ कर दिया कि इस पोस्ट में ‘अब्राहमिक रिलीजन‘ को भी गाली दी गई है।
ज़ील ब्लॉग का मक़सद सिर्फ़ नफ़रत फैलाना है।
इस संबंध में तीन पोस्ट्स पर नज़र डालना ज़रूरी है।
1. भारत देश के गांधी कितने घातक ? - डा. दिव्या श्रीवास्तव, थाईलैंड से
2. I obhect. - शिल्पा मेहता, मुंबई , भारत से
3. क्या वाक़ई स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है ? - डा. दिव्या श्रीवास्तव, थाईलैंड से
ये पोस्ट्स बताती हैं कि देश के गौरव पर चोट करने वाले तत्व हिंदी ब्लॉगिंग में किस दर्जे पर सक्रिय हैं और देशप्रेमियों को उनसे किस प्रकार मुक़ाबला करना पड़ता है ?
क़ाबिले ऐतराज़ पोस्ट का फ़ोटो भी आइन्दा के लिए सुरक्षित कर लिया गया है।
जिस नियाज़ अहमद का फ़ेसबुक लिंक डा. दिव्या ने अपनी पोस्ट में दिया है, उसके अकाउंट में अब वह कटेंट नहीं है। लगता है कि उसने डर कर कटेंट मिटा दिया है। हो सकता है कि दिव्या जी भी मिटा दें। जिन पोस्ट्स पर दिव्या जी को फ़ज़ीहत झेलनी पड़ी, ऐसी कई पोस्ट्स वह डिलीट कर चुकी हैं। ऐसे दर्जनों कमेंट्स भी वह डिलीट कर चुकी हैं। शिल्पा जी ने उनकी पोस्ट का फ़ोटो न लिया होगा। सो यह काम हिंदी ब्लॉगर्स के हित में ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ ने अंजाम दिया है।
नियाज़ अहमद की भाषा शैली का अध्ययन किया गया तो वह पूरी तरह उन लोगों से मैच करती है जो कि कांग्रेस, नेहरू ख़ानदान और गांधी को कोसने का तथा अंग्रेज़ों से न लड़ने का इतिहास रखते हैं। बेशुमार लोग छद्म और फ़र्ज़ी आईडी बनाकर फ़ेसबुक पर और ब्लॉगिंग में नफ़रत का ज़हर फैला रहे हैं।
ब्लॉग जगत के विश्वसनीय सूत्रों ने संदेह जताया है कि दिवस गौड़ का प्रोफ़ाइल भी छद्म है।
इस रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान एक दिग्गज ब्लॉगर ने हमें फ़ोन किया और यह संदेह जताया है कि ऐसा लगता है कि अब ज़ील ब्लॉग का संचालन डा. दिव्या के बजाय कोई पुरूष ही कर रहा है। इस संबंध में उन्होंने कुछ सुराग़ भी दिए हैं।
इस तरह का संदेह ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ की एक पोस्ट पर एक महिला ब्लॉगर भी जता चुकी हैं।
इन दो ब्लॉगर्स के नज़रिये को सामने रखते हुए अब हमें भी पुनर्विचार करना होगा।
बहरहाल हिंदी ब्लॉग जगत को ख़बरदार रहना होगा कि धर्म और संविधान की खिल्ली उड़ाकर आपस में नफ़रत की दीवारें खड़ी करने वाले तत्व भी ब्लॉगर्स के रूप में सक्रिय हैं।
2 comments:
वाह...बहुत सुन्दर, सार्थक और सटीक!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
वाह...बहुत सुन्दर, सार्थक और सटीक!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
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