2विवाह पूर्व यौन सम्बंध की त्रासदी
रचना ईश्वर ने रची, तन मन मति अति-भिन्न |
प्राकृत के विपरीत गर, करे खिन्न खुद खिन्न | करे खिन्न खुद खिन्न, व्यवस्था खुद से करता | करे भरे वह स्वयं, बुढापा बड़ा अखरता | नाड़ी में है ताब, आबरू की क्या चिंता | अंत घड़ी जब पास, शुरू की गलती गिनता || |
3
खुदा की इबादत क्यों करना ?
कुछ जुगाड़ कर दो प्रभू, होवे बेडा पार |
नेता से मंत्री बनू, पैदल को दे कार |
पैदल को दे कार, खजाना सदा बढ़ाना |
कर दे मेरा काम, चढ़ावा पूरा माना |
ढकोसले ये छोड़, नित्य आभार प्रगट कर |
पाया प्रभू अपार, स्वार्थ अब छोडो रविकर ||
नेता से मंत्री बनू, पैदल को दे कार |
पैदल को दे कार, खजाना सदा बढ़ाना |
कर दे मेरा काम, चढ़ावा पूरा माना |
ढकोसले ये छोड़, नित्य आभार प्रगट कर |
पाया प्रभू अपार, स्वार्थ अब छोडो रविकर ||
18भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ सेram ram bhai |
2 comments:
Thanks
लाजवाब !
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