(पूर्वोत्तर की भगदड़ पर)
ये भगदड़ मचाई है जिस भी किसी नेउसे ये पता हैकि तुम उसकी गर्दन नहीं नाप सकतेकि अब तुममे पहली सी कुव्वत नहीं हैकभी हाथ इतने थे लंबे तुम्हारेकि उड़ते परिंदों के पर गिन रहे थेकोई सात पर्दों में चाहे छुपा होपकड़ कर दिखाते थेपिंजड़े का रस्तामगर अब वो दमखमकहीं भी नहीं हैकि अब आस्मां क्याज़मीं तकतुम्हारी पकड़ में नहीं है.....
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गांधी के सपनों का जहांन चाहिए , मुझको राम वाला हिंदुस्तान चाहिए , प्रोफेसर
अज़हर हाशमी की रचना डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल द्वारा प्रकाशित पुस्तक
राजस्थान के साहित्य साधक पुस्तक की आत्मा है , जो वर्तमान हालातों में देश को
झकझोर कर , देश को क्या चाहिए इस बारे में बता रहे हैं ,,
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गांधी के सपनों का जहांन चाहिए , मुझको राम वाला हिंदुस्तान चाहिए , प्रोफेसर
अज़हर हाशमी की रचना डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल द्वारा प्रकाशित पुस्तक
राजस्थान...
2 comments:
जी हाँ "हाथ " के तोते उड़े हुएँ हैं ......बाज़ जाने किस तरह हमको ये बतलाता रहा ,क्यों परिंदों के दिलों से उसका डर जाता रहा ...
ram ram bhai
सोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
बाज़ जाने किस तरह हमसे ये बतलाता रहा ,
क्यों परिदों के दिलों से ,उसका डर जाता रहा .देवेन्द्र गौतम जी बहुत अच्छी प्रस्तुति .पाप का एक दिन घडा भरता ही है ...
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