(पूर्वोत्तर की भगदड़ पर)
ये भगदड़ मचाई है जिस भी किसी नेउसे ये पता हैकि तुम उसकी गर्दन नहीं नाप सकतेकि अब तुममे पहली सी कुव्वत नहीं हैकभी हाथ इतने थे लंबे तुम्हारेकि उड़ते परिंदों के पर गिन रहे थेकोई सात पर्दों में चाहे छुपा होपकड़ कर दिखाते थेपिंजड़े का रस्तामगर अब वो दमखमकहीं भी नहीं हैकि अब आस्मां क्याज़मीं तकतुम्हारी पकड़ में नहीं है.....
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कोटा एयरपोर्ट की सभी बाधाएं दूर होने की खबरों के प्रकाशन के बाद , किसी भी
अख़बार वाले ने तो लोकसभा अध्यक्ष ओम जी से एयरपोर्ट के शिलान्यास और निर्माण
की शुरुआत के बारे में कोई सवाल पूंछा ही नहीं
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कोटा एयरपोर्ट की सभी बाधाएं दूर होने की खबरों के प्रकाशन के बाद , किसी भी
अख़बार वाले ने तो लोकसभा अध्यक्ष ओम जी से एयरपोर्ट के शिलान्यास और निर्माण
की ...






2 comments:
जी हाँ "हाथ " के तोते उड़े हुएँ हैं ......बाज़ जाने किस तरह हमको ये बतलाता रहा ,क्यों परिंदों के दिलों से उसका डर जाता रहा ...
ram ram bhai
सोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
बाज़ जाने किस तरह हमसे ये बतलाता रहा ,
क्यों परिदों के दिलों से ,उसका डर जाता रहा .देवेन्द्र गौतम जी बहुत अच्छी प्रस्तुति .पाप का एक दिन घडा भरता ही है ...
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