हर किसी की आंख में फिर क्यों नहीं चुभता बहुत.
कोयले की खान में दबकर रहा हीरा बहुत.
इसलिए मैं धीरे-धीरे सीढियां चढ़ता रहा
पंख कट जाते यहां पर मैं अगर उड़ता बहुत.
कोयले की खान में दबकर रहा हीरा बहुत.
इसलिए मैं धीरे-धीरे सीढियां चढ़ता रहा
पंख कट जाते यहां पर मैं अगर उड़ता बहुत.
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