अरुणेश दवे लिखते हैं -
"हमारे नेता नपुंसक है", "हमारी पुलिस नपुंसक है" "बलात्कारी को फ़ांसी दो" का नारा लगाने वालो से मै पूछना चाहता हूं कि कहा से आये है ये लोग? इन बलात्कारियों को इसी समाज ने पैदा किया है और नेताओ को भी। और मनोविकार पैदा कौन कर रहा है? जापानी तेल और लिंग वर्धक यंत्र का विज्ञापन कौन छापता है नेता या मीडिया? पुरूष जीन्स के विज्ञापन में अर्धनग्न महिला का फ़ोटो कौन दिखाता है नेता या मीडिया ? महिलाओ के जिस्म की नुमाइश कर अपना माल बेचने वाले बाजार को माध्यम कौन दे रहा है नेता कि मीडिया ??? अपने उकसाये आंदोलन के इस हिंसा के दौर में पहुंचने पर लोगो से शांती और अहिंसा की अपील कर रहे मीडिया ने पत्रकारिता नैतिकता और ढोंग की सारी हदें पार कर दी हैं। खाप पंचायत वाले अपनी बेटियों को जब इस बाजारवाद के दुष्परिणामो से बचाने की कोशिश करते तो यही मीडिया उनको तालीबान करार देता है। फ़ांसी की सजा ही एक समाधान हो सकता है पर इस देश में कानून का कितना दुरूपयोग होता है यह भी किसी से छुपा नही है।
"हमारे नेता नपुंसक है", "हमारी पुलिस नपुंसक है" "बलात्कारी को फ़ांसी दो" का नारा लगाने वालो से मै पूछना चाहता हूं कि कहा से आये है ये लोग? इन बलात्कारियों को इसी समाज ने पैदा किया है और नेताओ को भी। और मनोविकार पैदा कौन कर रहा है? जापानी तेल और लिंग वर्धक यंत्र का विज्ञापन कौन छापता है नेता या मीडिया? पुरूष जीन्स के विज्ञापन में अर्धनग्न महिला का फ़ोटो कौन दिखाता है नेता या मीडिया ? महिलाओ के जिस्म की नुमाइश कर अपना माल बेचने वाले बाजार को माध्यम कौन दे रहा है नेता कि मीडिया ??? अपने उकसाये आंदोलन के इस हिंसा के दौर में पहुंचने पर लोगो से शांती और अहिंसा की अपील कर रहे मीडिया ने पत्रकारिता नैतिकता और ढोंग की सारी हदें पार कर दी हैं। खाप पंचायत वाले अपनी बेटियों को जब इस बाजारवाद के दुष्परिणामो से बचाने की कोशिश करते तो यही मीडिया उनको तालीबान करार देता है। फ़ांसी की सजा ही एक समाधान हो सकता है पर इस देश में कानून का कितना दुरूपयोग होता है यह भी किसी से छुपा नही है।
0 comments:
Post a Comment