औरत का क़ानूनी जलवा
नए क़ानून के असर की एक सत्यकथा जो भविष्य में घटित होगी।
चपरासी के अलावा ऑफ़िस के सभी लोग जा चुके थे। सीईओ अपने रूम में जुटे हुए थे। हालाँकि उनकी उम्र काफ़ी हो चुकी थी फिर भी बस एक जोश था, जो उन्हें अब भी नौजवानों की तरह जुटे रहने के लिए मजबूर करता था लेकिन जवानी बीत जाए तो सिर्फ़ जोश से ही काम नहीं चलता। सीईओ साहब जल्दी ही निपट गए।
उनकी सेक्रेटरी को भी जो कुछ ठीक करना था, हमेशा की तरह ठीक कर लिया। सीईओ साहब ने अपनी सेक्रेटरी के चेहरे पर नज़र डाली। वहां कोई शिकायत न थी। वह मुतमईन हो गए और अपना ब्रीफ़ेकेस उठाकर चलने ही वाले थे कि सेक्रेटरी ने आज का न्यूज़ पेपर उनके सामने रख दिया, जिसमें यौन हमले और शोषण का अध्यादेश लागू होने की ख़बर थी।
सेक्रेटरी मुस्कुराते हए बोली -‘आप क्या चुनना पसंद करेंगे, 20 साल की क़ैद या ...?‘
‘क...क...क्या मतलब ?‘- सीईओ साहब हकला भी गए और बौखला भी गए।
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2 comments:
अफसोसजनक!
achhi nasihat.
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