यह ज़रूरत आज भी बनी हुई है कि विभिन्न धर्मों के मानने वाले एक दूसरे को अपने नज़रिए की जानकारी दें और ऐसी बातें कहने से बचें, जिससे विवाद पैदा हो और समाज में नफ़रत फैले। बिना इल्ज़ाम लगाए भी सवाल पूछा जा सकता है और बिना भड़के भी उसका जवाब दिया जा सकता है। ऐसी बातचीत से ही आपस में धार्मिक सद्भाव पैदा हो सकता है। हम सबको मिलकर इसके लिए कोशिश करनी चाहिए। इसी में हमारा और हमारी आने वाली नस्लों का भला है। हमारे देश का भला भी इसी में है।
अगर हमसे कोई ग़लती हो जाए तो उसके लिए माफ़ी मांगकर हम छोटे नहीं हो जाते। पोप बेनेडिक्ट जैसे बड़े आदमी ने अपनी ग़लती के लिए माफ़ी मांगना अपनी शान के खि़लाफ़ नहीं समझा। हमारा अज्ञान हमें आपस में लड़ाता है और अपने अहंकार की वजह से हम अपनी ग़लती पर डटे रहते हैं। आत्मविकास के लिए हमें आत्मसुधार करना होगा और यह सबको करना होगा। ऐसा नहीं है कि कोई क़ौम पूरी सुधरी हुई है और कोई दूसरी क़ौम पूरी की पूरी ही ख़राब है। सब इंसान हैं और सब अपनी भलाई और समाज में शांति चाहते हैं। इसके लिए हम सबको एक दूसरे को आदर देना सीखना होगा।
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धार्मिक सद्भाव के लिए आपस में संवाद कैसे करें ?
पोप ने मुस्लिम देशों के दूतों से अपने आवास में मुलाकात की |
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nice
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