लेखकJan 25, 2014 11:56 AMसभी पोस्ट देखें
हम जब चाहे तब ख़ुश हो सकते हैं, जितना चाहे उतना ख़ुश हो सकते हैं और जब तक चाहे तब तक ख़ुश रह सकते हैं। हमें ख़ुश करने वाला अगर कोई है तो वह हम ख़ुद हैं। हमें कोई हादसा दुख नहीं दे सकता। हमें कोई आदमी दुखी नहीं कर सकता। अगर हमें कोई दुखी कर सकता है तो...आगे पढ़ें...कोई कॉमेंट नहीं
मगर इन्सान तो ये जानता है कि अपने आगे भी (हमेशा) बुराई करता जाए (5)
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75 सूरए अल कियामह
सूरए अल कियामह मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी चालीस (40) आयतें है
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
मै...