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BBC के कार्यक्रम में हरीश सिंह {बैठे हुए} व अन्य |
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मौके पर उपस्थित लोग |
ब्यूरो....... हा खिलाई थी सर, बड़े खुश हो रहे थे, कह रहे थे हम तो समझते है की सिर्फ अख़बार और चैनल वालो की ही दावत होती है, पर यहाँ भी मिठाई खाने के लिए मिल गयी. बड़े खुश थे बच्चो को भी खिलाई, भाभी को तो उन्होंने अपने हाथ से खिलाया था. ख़ुशी के मारे भाभी ने दांत से उनकी अंगुली भी काट ली. एक झोलाछाप डाक्टर से दवाइयां ली.
हरीश सिंह ... .. हा हा हा हा क्या बात है, कह दीजियेगा अपनी उम्र का ख्याल रखे, इस उम्र में आशिकी सूझ रही है... इतनी ख़ुशी अच्छी नहीं. वे मेरी ख़बरें छापते रहे, मैं रोज़ मिठाई खिला दूंगा.
ब्यूरो........ सर आपने कहा था की "उत्तरप्रदेश ब्लोगर असोसिएसन" शुरू करने पर विवाद हुआ तो आपने नाम बदल दिया. ?
हरीश सिंह..... जीहा आपने सच कहा UBA शुरू करने का मकसद मेरा एक सपना है. जो अब BBLM है इसके बारे में हम विस्तृत चर्चा करेंगे. फ़िलहाल LBA पर मैं जरुर पदाधिकारी था और हूँ भी किन्तु इस ब्लॉग का उद्देश्य जो मेरी समझ में आया की यहाँ पर ब्लोगरो की भीड़ जमा करनी है, जब कोई संगठन शुरू किया जाता है तो उसका एक मकसद होना चाहिए, एक नियमावली होनी चाहिए. सलीम भाई ने ब्लॉग की परिकल्पना की, जिसे चाहा अध्यक्ष बना दिया, जिसे चाहा पद वितरित कर दिया. जिन पदों पर जो लोग रखे गए उनमे से किसी को भी जिम्मेदारी नहीं बताई गयी. सब पद पाकर मगन थे. ब्लॉग पर क्या लिखा जा रहा, क्या हो रहा है, इस पर नियंत्रण रखने वाला कोई नहीं. हर घर की एक मर्यादा होती है किन्तु यहाँ पर क्या हुआ, जिसने जो चाहा लिख दिया, जिसने जो चाही टिप्पणी कर दी और चले गए. किसकी भावनाए आहत हुयी कोई मतलब नहीं. धर्म के माखौल उडाये जाने लगे किसी से कोई लेना देना नहीं. .... कोई हिन्दू पर तो कोई मुस्लिम पर उड़ा रहा है और पदाधिकारी चुप होकर तमाशा देख रहे है. .. जब हम परिवार बनाये तो परिवार के दायित्वों को भी निभाएं पर यहाँ किसने निभाए, निश्चित ही रविन्द्र प्रभात अध्यक्ष पद के लायक थे, वे जो ब्लॉग और ब्लोगरो की विवेचना करते थे उससे लगता था की वे काफी अध्यन करते थे..... पर जब असली जिम्मेदारी आई तो मैदान छोड़कर फरार हो गए. यह कैसा अनुशासन है ... अरे यार कुछ तो जिम्मेदारी होनी चाहिए.
ब्यूरो........ लेकिन सलीम भाई का क्या दोष है ?
हरीश सिंह....... क्यों उनका दोष क्यों नहीं है. वाही तो सबसे बड़े दोषी है. आप जानते है, परिवार के दो जिम्मेदार होते है. एक जो मालिक होता है. सबका ख्याल रखता है. और एक मुखिया होता है जो परिवार के साथ समाज का भी ख्याल रखता है... आखिर आप संयोजक है जब परिवार के लोग आपस में लड़ रहे है तो आप चुप बैठकर तमाशा देख रहे रहे है. आपको सामने आना था लोंगो को समझाना था. हर विवाद में परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी बढ़ जाती है आप चुप होकर तमाशा नहीं देख सकते... नया गठन करने से पूर्व आपको चाहिए था की आप कारण बताते रविन्द्र प्रभात क्यों भाग गए. . संगठन में बदलाव किया गया तो किससे राय ली गयी, फिर संगठन के पदाधिकारियों की क्या जिम्मेदारी है. इनमे से तो कुछ ऐसे चेहरों को शामिल किया गया है जो काफी दिनों से दिखाई ही नहीं दे रहे है. वही दूसरी तरफ जब LBA पर हमने अपने परिवार की पोस्ट लगायी तो उन्हें पढ़ने के बाद फिर भी लोग हमपर आरोप लगाये, हमें गलियां दी, न जाने क्या क्या कहा, यहाँ तक की उसी नाम पर एक सज्जन ने संगठन बना डाले. उन्हें तो किसी ने कुछ नहीं कहा, हम लोग तो वहा पर जाकर folow भी कर आये और वे सज्जन गधे के सर से सींग की तरह गायब हो गए. हमारे घर में आज तक नहीं आये. सलीम खान बोले क्यों नहीं, भैया हरीश भाई को गाली मत दो, वे हमसे पूछकर ही LBA पर पोस्ट लगायी है. यह कैसा अन्याय है, संगठन के लोंगो को भला बुरा कहा जा रहा है औए वे चुप्पी साधे पड़े है.
ब्यूरो ... आपके कहने का मतलब है की सलीम खान गैरजिम्मेदार है ?
हरीश सिंह........ जी नहीं मैं उन्हें गैर जिम्मेदार नहीं लापरवाह मानता हूँ. पहले आप संगठन की निति बनाईये.. पदाधिकारियों की जिम्मेदारी बाँटिये.... और जो लोग नियमो का पालन न करें उन्हें खुद बहार का राश्ता दिखाएँ. आज तक वे कर पाए क्या. अरे यार जो लोग नाकाबिल हैं, कामचोर है, ऐसे लोंगो की जरुरत ही क्या है.
वे तो मायावती जी की तरह खुद ही सरकार चला रहे हैं. जो उनके गुणगान करता रहे. वह मंत्रिमंडल में रहेगा नहीं तो बाहर.
ब्यूरो..... वही काम तो आप भी कर रहे हैं ? "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" के सर्वेसर्वा बने है कोई पद क्यों नहीं बांटते.......?
हरीश सिंह.......... जी नहीं, हमने शुरुवात में ही कह दिया था की यह कोई संगठन नहीं परिवार है... परिवार में पद नहीं जिम्मेदारिया दी जाती हैं मैंने पहले ही कहा है की हम और मिथिलेश इस मंच के पहरेदार है मालिक नहीं, हमारे सभी परिवार के सदस्य बराबर के जिम्मेदार है. सभी अपनी जिम्मेदारिया निभाए, इस परिवार में शामिल होने वाले किसी भी धर्म के मानने वाले हो यहाँ पर सिर्फ इंसानियत धर्म को माने... और प्रेम, इंसानियत , भाईचारे को बढ़ावा दे.
ब्यूरो....... लेकिन यह कैसे होगा, आपने जो प्रतियोगिता आयोजित की है उससे भला कैसे प्रेम बढेगा, मुझे तो लगता है काफी विवाद शुरू होने वाले हैं ? आपने दो धुर विरोधियों को जज बना दिया है. आपसी सहमति कैसे बनेगी........?
हरीश सिंह...... मैं जानता हु डॉ. श्याम गुप्ता और डॉ. अनवर जमाल में वैचारिक विरोध भले है किन्तु उनका फैसला सभी मानेंगे और आपको विश्वास दिलाता हूँ की उन्हें आपसी सहमती बनाने पर मैं मजबूर कर दूंगा.....
ब्यूरो...... { आश्चर्य से} आखिर यह कैसे संभव है, यह तो कदापि नहीं हो सकता. निश्चित रूप से विवाद होगा, कही आपकी प्रतियोगिता खटाई में न पड़ जाय... ?
हरीश सिंह....... यह राज़ मैं इंटरव्यू के अंतिम अध्याय में खोल दूंगा, अभी नहीं बता सकता... चालाकी मत दिखाईये.... और यह लीजिये पैसे आज मिठाई के साथ समोसे भी ले लीजियेगा.... अपने संपादक से बता देना की वह यह न कहे की मैं इमानदार गरीब हु बल्कि बात यह है की इमानदार गरीब नहीं होता बल्कि गरीब ही इमानदार होता है..... और आज कह देना आज भाभी जी को बचा कर खिलाएं ऐसा न हो दूसरी अंगुली भी कट जाय.... हा हा हा हा........
ब्यूरो...... यह रही हमारी और हरीश सिंह की वार्ता उन्होंने जाते जाते वादा किया है की अभी और भी राज खोलेंगे सब के बारे में, प्रतियोगिता के बारे में भी बताते रहेंगे. फ़िलहाल आप अपनी लेखनी को धार दीजिये नहीं तो महाभारत में हिस्सा न लेने पर पछताना पड़ेगा. और हा हमारे संपादक ने इस साक्षात्कार की लोकप्रियता देखकर बेचने का निर्णय भी लिया है.. इस मामले में LBA . AIBA ..... HBFI जैसे संगठन अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करने की बात कर रहे है, हो सकता है की कुछ ले दे कर मामला तय हो जाय.... संपादक का कहना है की यदि ऐसे समझौते होते रहे तो शीघ्र ही दाल रोटी का खर्चा चलने लगेगा.. तो दोस्तों कल फिर मिलेंगे. तब तक के लिए खुदा हाफिज़....