लेखकJan 25, 2014 11:56 AMसभी पोस्ट देखें
हम जब चाहे तब ख़ुश हो सकते हैं, जितना चाहे उतना ख़ुश हो सकते हैं और जब तक चाहे तब तक ख़ुश रह सकते हैं। हमें ख़ुश करने वाला अगर कोई है तो वह हम ख़ुद हैं। हमें कोई हादसा दुख नहीं दे सकता। हमें कोई आदमी दुखी नहीं कर सकता। अगर हमें कोई दुखी कर सकता है तो...आगे पढ़ें...कोई कॉमेंट नहीं
सुनो..पत्थरों के भीतर नदी बहती है ( काव्य संग्रह ) "आमजन के दिल तक पहुंचती
रचनाएं"
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ऐसा देश है मेरा/ पुस्तक चर्चा.........794
सुनो..पत्थरों के भीतर नदी बहती है ( काव्य संग्रह )
"आमजन के दिल तक पहुंचती रचनाएं"
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