भारतीय समाज जहाँ एक उक्ति आमतौर पर प्रचलित है कि-''बहू अपने से नीचे घर से लाओ और बेटी को अपने से ऊँचे घर में दो .''पता है ये किस लिए सिर्फ इसलिए कि जिससे बहु और बेटी अपने अपने घर में सेवा भाव लेकर जाएँ .आज इस उक्ति का अनुसरण कितने लोग कर रहे हैं मेरे विचार में शायद कुछ दिल के हाथों मजबूर ही इसका अनुसरण कर रहे हैं नहीं तो अधिकांशतया आज के युवक अपने से ऊँचे घरों की लड़कियों से ही विवाह की इच्छा रखते हैं किन्तु यदि आज की युवतियों की बात करें तो स्थिति थोड़ी भिन्न कही जा सकती है .युवतियां जहाँ उनकी इच्छा कहें या राय पूछी जाती है या जहाँ वे अपना जीवनसाथी स्वयं चुनती है वहां उनकी प्रमुखता एक ऐसे युवक की रहती है जो उन्हें बहुत प्यार करे व् उनकी इच्छा के अनुसार ही चलने को तैयार हो .ऐसा केवल आज ही नहीं हो रहा है पहले भी ऐसा हुआ है .भारत का सबसे लोकप्रिय राजनीतिक परिवार में इंदिरा गाँधी और प्रियंका गाँधी दोनों ही के विवाह प्रेम विवाह हैं और दोनों ही की तुलना में उनके पति का रसूख यदि कहा जाये तो कुछ भी नहीं है .आज योग्यता पढाई लिखाई व् रसूख पर हावी हो रही है और मेरे विचार में युवतियां युवकों की योग्यता को अपने जीवनसाथी के चयन में ज्यादा तरजीह दे रही हैं .इसके साथ ही साथ आज दो बातें जो आज के युवकों के लिए युवतियों की पसंद में सम्मिलित हो चुकी हैं वे हैं युवक की अधिक तनख्वाह व् उसका अपने घर से अलग रहना क्योंकि आम तौर पर आज की युवतियां अपने जीवनसाथी के परिवार की जिम्मेदारी एक बोझ स्वीकार कर चलती हैं क्योंकि आज भारत में लगभग एकल परिवार का चलन है और अकेले परिवार में रहने वाले बच्चे जब अपने माँ-बाप को उनके माँ-बाप से अलग चैन से रहते देखते हैं तो अपने भविष्य में भी पहले से ही पृथक रहने की ही सोचकर चलते हैं और अपने जीवनसाथी के परिवार को मात्र एक बोझ मानते हैं इसीलिए जहाँ तक मेरा विचार है आज की युवतियां अपने जीवन साथी की अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी और उसके अलग रहने को महत्व देती हैं वहीँ आपका क्या विचार है ?
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शालिनी कौशिक
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