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Wednesday, July 20, 2011

एक अच्छी सी टिप्पणी चाहिए , देंगे क्या ? Bad Situation

आज आदरणीय रूपचंद शास्त्री ‘मयंक‘ जी की रचना पढ़ी। उसकी मेन थीम किसी बेवफ़ा के हाल-अहवाल का चित्रण करना है।
http://uchcharan.blogspot.com/2011/07/blog-post_20.html
रचना पढ़कर हमने कहा कि
आपकी रचना अपने आप में सुंदर है।
...लेकिन आदमी हमेशा बेवफ़ा नहीं होता बल्कि कभी कभी वह हालात का मारा हुआ या किसी ग़लत दोस्त के फेर में आकर ग़लत फ़ैसले लेने वाला भी होता है यानि कि बहुत सी ऐसी सिचुएशन्स हैं कि आदमी बेवफ़ा न हो और उससे वफ़ा की आशा रखने वाले की अपेक्षा पूरी न हो पा रही हो।
हिंदुस्तानी फ़िल्मों में ऐसी बहुत सी सिचुएशन्स डिस्कस की गई हैं। डिस्कस क्या बल्कि फ़िल्माई गई हैं।
पता चला कि हीरोईन त्याग की मूर्ति है और हीरो उसे ग़लत समझ रहा है। इसीलिए मुझे फ़िल्म का क्लाईमेक्स हमेशा से पसंद है क्योंकि उसमें ग़लतफ़हमियों का अंत हो जाता है।
राजा हिन्दुस्तानी का नाम भी इस विषय में एक अच्छा नाम है। उसके गाने भी काफ़ी लोकप्रिय हैं।
ख़ैर, वह जीवन ही क्या जिसमें सब रस न हों ?
कवि को तो सभी रसों को अभिव्यक्ति देनी पड़ती है।
आपकी रचना सचमुच अच्छी है।

एग्रीकटर का पेज नीचे को सरकाया तो देखा कि वंदना जी भी एक पोस्ट पेश कर रही हैं और उसमें बता रही हैं कि बेवजह ग़लतफ़हमियां पैदा हो रही हैं।
http://redrose-vandana.blogspot.com/2011/07/blog-post_20.html
उनकी पोस्ट पढ़कर हमने उन्हें नीति और धर्म उपदेश दिया। हमने कहा कि
वंदना जी ! आज आपका ईमेल मिला कि ‘मुझे अपने साझा मंच से हटा दीजिए‘। पढ़ते हम खटक गए कि आज ज़रूर वंदना जी किसी वजह से अपसैट हैं और आपसे हमन पूछा भी कि ऐसी हमसे क्या ख़ता हो गई है , बताइये तो सही ?
आपकी पोस्ट पढ़ी तो दिल हमारा भी दुखी हो गया और यह देखकर तो वाक़ई दिल बहुत ही ज़्यादा दुखी हो गया कि विवाद के पीछे कोई बहुत बड़ी बात भी तो नहीं है बल्कि केवल ‘परिस्थिति की विडंबना‘ है। इसने यह कह दिया तो उसने यह बता दिया और उन्होंने यह समझ लिया।
साहित्यकार संवेदनशील कुछ ज़्यादा ही होते हैं। इसीलिए यह प्रॉब्लम पैदा हुई है लेकिन शास्त्री जी को आप भी जानती हैं और शास्त्री जी भी आपको जानते हैं कि दोनों ही अपने आप में क्या हैं और एक दूसरे के लिए क्या भावनाएं रखते हैं ?
इस समय मुखर होने के बजाय मौन होना ही नीति और धर्म है। आप धार्मिक प्रवृत्ति ही महिला हैं।
आशा है कि ध्यान देंगी। जज़्बात में सदा अति हुआ करती है।
मैं मालिक से आप सभी संबंधित लोगों के लिए शांति और दया की कामना करता हूं। वह आपके संग रहे और आपका शोक हरे।

आमीन !!!
अब आप बताइये कि क्या दोनों की पोस्ट पर इससे बेहतर कोई और टिप्पणी संभव है ?
अगर संभव है तो दोनों लिक्स पर जाएं और इससे बेहतर टिप्पणी देकर दिखाएं, मैं चैलेंज नहीं कर रहा हूं।

लेकिन एक बात और पेश आई जब मैं वंदना जी की पोस्ट पर कमेंट पढ़ रहा था तो वहां भाई एम. सिंह का कमेंट भी मिला। जनाब एक लाइन का कमेंट देने के बाद तुरंत ही दो लाइन में अपनी नई पोस्ट का लिंक भी वहां दे रहे हैं।
ये लिंक देने वाले भी न, बिल्कुल माफ़ नहीं करते किसी पोस्ट को।
यह भी नहीं देखते कि पोस्ट लेखिका तो कह रही है मेरा दिल ही ब्लॉगिंग से उचाट हो रहा है और लिंक पेश करने वाले भाई अपना हुनर दिखा रहे हैं।
आप भी उनकी टिप्पणी पढ़िए।
उदासी के सीन चल रहे थे कि अचानक ही कॉमेडी पैदा हो गई।
उनकी नई पोस्ट का लिंक भी हम यहां दे रहे हैं, उसे भी ज़रूर पढ़ा जाए।

अन्‍ना को मनमौन की जवाबी चिट्ठी

 

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