ग़ज़लगंगा.dg: ग़म की धूप न खाओगे तो खुशियों की बरसात न होगी: ग़म की धूप न खाओगे तो खुशियों की बरसात न होगी . दिन की कीमत क्या समझोगे जबतक काली रात न होगी . जीवन के इक मोड़ पे आकर हम फिर से मिल...
और अपनी (क़ौम की) बेशौहर औरतों और अपने नेक बख़्त गुलामों और लौंडियों का
निकाह कर दिया करो अगर ये लोग मोहताज होंगे तो खुदा अपने फज़ल व (करम) से
उन्हें मालदार बना देगा और ख़ुदा तो बड़ी गुनजाइश वाला वाकि़फ कार है
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और (ऐ रसूल) इमानदार औरतों से भी कह दो कि वह भी अपनी नज़रें नीची रखें और
अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें और अपने बनाव सिंगार (के मक़ामात) को (किसी
पर) ज़ा...