जिंदगी एक खामोश सफ़र है इसे तो सिर्फ कुशल ग्रहिणी ही जी सकती है ,और इसी लियें वन्दना बहन ब्लोगिंग की जिंदगी बन गयी हैं
ब्लोगिंग की दुनिया की जिंदगी बहन वन्दना जी |
कहते हैं एक कुशल गृहणी माँ ,पत्नी,बहन,दोस्त,बहु और सास सहित ना जाने कितने किरदार निभाती है वोह जब घर को सजाती है तो इंटीरियर डेकोरेटर होती है ,जब घर के सदस्यों के लियें मन पसंद खाना बनाती है तो ऐसे वक्त पर एक गृहणी डाईटीशन बन जाती है , कुल मिलाकर एक ईंट पत्थर से बने मकान को अगर घर और सपनों का खुशनुमा महल कोई बनाती है तो वोह सिर्फ और सिर्फ एक कुशल गृहणी ही होती है और हमारी बहन ब्लोगर श्रीमती वन्दना जी एक सफल गृहणी हैं यह तो सब जानते ही हैं उनके चेहरे की मुस्कान साफ़ झलकाती है के उनसे कोई नाराज़ नहीं है और वोह सभी की नब्ज़ समझ कर एक सूत्र में पिरोकर बेठी हैं .
बहन वंदना जी जो चटपटा खाना बना कर घर को साफ़ सुथरा कर ,सजा संवार कर, आकर्षक बनाती हैं वही बहन जब थक कर आराम करने का वक्त होता है तब अपने इस आराम के वक्त में वोह, हम और आप से जुड़ कर ब्लोगिंग करती हैं. ब्लोगिंग की दुनिया में उनके बहतरीन अल्फाजों में सजे संवरे विचार जन ब्लॉग पर आते हैं तो सभी लोग उसे पढ़ कर आह और वाह कर बैठते हैं क्योंकि इनकी लेखनी में ,इनके अंदाज़ में, प्यार ,झिडकी,एक अनुभव, एक सीख़ ,एक शिक्षा , एक अपनापन भरा पढ़ा है. घर के सारे कामकाज निपटाकर ब्लोगिंग करने वाली वन्दना जी को झूंठ से सख्त नफरत है ,यह निर्भीक और निडर होकर अपनी बात कहने का साहस रखती हैं और कहती भी है वन्दना जी की एक खासियंत यह भी है के वोह प्रशंसा पसंद नहीं हैं, लेकिन यह गुस्ताखी में कर रहा हूँ और गुस्ताखी सिर्फ इसलियें के वन्दना जी को सच्चाई से प्यार है और सच यही है के वन्दना जी की ब्लोगिंग की तारीफ की जाए यह उनके ब्लोगिंग के प्रति समर्पण के कारण उनका हक बन गया है ,और मुझे यकीन है के इस सच्चाई पर वोह मुझ पर नाराज़ हरगिज़ नहीं होंगी . और सच लिखने में अगर हमारी बहन नाराज़ होती है तो हम पहले ही कान पकड़ कर माफ़ी मांग लेते हैं .
एक निर्मल मन की मुस्कुराती तस्वीर अपनापन और प्यार बिखेरती वन्दना जी कहती हैं के,, ज़ाल जगत रूपी महासागर की में तो एक मात्र अकिंचन बूंद हूँ ,, उनके इन अल्फाजों से उनकी महानता उनका बढ़प्पन झलकता है , इनका निवास भारत की राजधानी जो इन दिनों अन्ना की भ्रस्टाचार की लड़ाई का प्रमुख अखाड़ा बनी है वही दिल्ली है ,वर्ष २००७ से ब्लोगिंग की दुनिया में अपने आलेखों से ब्लोगर भाइयों को ब्लोगिंग टिप्स देने वाली वन्दना जी के अनुभव के कारण ही उन्हें आल इण्डिया ब्लोगर एसोसिएशन की चेयरमेन बनाया गया हे जिस ज़िम्मेदारी को वोह आज तक बखूबी निभा रही हैं . जिंदगी एक खामोश सफ़र ,एक प्रयास , जख्म जो फूलों ने दिए ,भ्रस्टाचार ,शब्द निराकार उनके प्रमुख ब्लॉग हैं अब तक कुल २४०० ब्लॉग लिख कर बहन वन्दना ८००० से भी अधिक टिप्पणियाँ लूट चुकी हैं वन्दना जी के लेख इतने प्रभावी हैं के इनके ब्लॉग और लेख अख़बारों में भी छपते रहे हैं इन्हें फूलों से बहुत बहुत प्यार हे इसी लिये इन्होने खुद की आई डी भी रोज़ और फ्लोवर के नाम से बनाई है .
मई २००७ से आज तक करीब चार वर्षों में ब्लोगिंग की इस खट्टी मीठी दुनिया में टकराव ,झगड़े फसाद हुए लेकिन वन्दना जी ने सभी विवादों से खुद को बचाकर रखा और हमेशां ब्लोगिंग कल्याण,ब्लोगिंग एकता ,मर्यादित ब्लोगिंग की हिमायत की ऐसी ब्लोगिंग की जिंदगी बनी ब्लोगर बहन वन्दना जी को एक फोजी धांय धांय ब्लोगिंग करने वाले का सेल्यूट सलाम ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
7 comments:
वंदना जी एक साफ़ सोंच वाली सुलझी हुई ब्लोगर है.लेखन की गुणवत्ता और नैरन्तर्य उनके लेखन की विशेषता है.
वन्दना जी कहती हैं के,, ज़ाल जगत रूपी महासागर की में तो एक मात्र अकिंचन बूंद हूँ ,, उनके इन अल्फाज़ से उनकी महानता उनका बड़प्पन झलकता है.
आपने सही कहा है . अंतरजाल पर मौजूद ब्लॉग्स पर जाकर सबके लेख पढना और उनकी चर्चा करना एक मुश्किल काम है जिसे वह नियमित रूप से कर रही हैं .
वे सचमुच प्रशंसा की हकदार हैं .
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/04/mother.html
दिल है ख़ुश्बू है रौशनी है मां
अपने बच्चों की ज़िन्दगी है मां
ख़ाक जन्नत है इसके क़दमों की
सोच फिर कितनी क़ीमती है मां
इसकी क़ीमत वही बताएगा
दोस्तो ! जिसकी मर गई है मां
रात आए तो ऐसा लगता है
चांद से जैसे झांकती है मां
सारे बच्चों से मां नहीं पलती
सारे बच्चों को पालती है मां
कौन अहसां तेरा उतारेगा
एक दिन तेरा एक सदी है मां
वंदना जी एक साफ़ सोंच वाली सुलझी हुई ब्लोगर है.लेखन की गुणवत्ता और नैरन्तर्य उनके लेखन की विशेषता है.
अख्तर खान साहब
ये आपने क्या किया मै तो किसी काबिल नही …………आपने तो यूँ ही इतना कुछ लिख दिया मुझसे बेहतर और अच्छा कार्य करने वाले ना जाने कितने बैठे हैं ……………मै और मेरा अस्तित्व तो कुछ भी नही है…………फिर भी आपने उसे कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया आपके स्नेह के लिये मै दिल से आभारी हूँ और इसका कर्ज़ कभी नही उतार सकती क्योंकि स्नेह अनमोल होता है…………बस यही उम्मीद करती हूँ आप और बाकी सभी ब्लोगर दोस्त अपना स्नेह बनाये रखें और ब्लोगिंग को नयी दिशा और सार्थक सोच प्रदान करें तथा हिन्दी की उन्नति मे योगदान दें।एक बार फिर से हार्दिक आभार्।
अख्तर साहब और वंदना जी दोनों ही श्रेष्ठ ब्लोगर और सम्प्रेषण की कितनी बेजोड़ और प्रभावी विधा. दोनों का कौशल और स्नेह उत्तम कोटि का, सराहनीय और सत्यता से भरपूर. मन की अभिव्यक्ति को रोका नहीं जा सकता, यह सही है. लेकिन उतना ही सही यह भी है की महान व्यक्तित्व अपने को महान कहने में झिझकता है. दोनों का दर्शन प्रस्तुत कराता एक सराहनीय पोस्ट.
salaam kabul kare vandana ji
:)
Post a Comment