मासूम भाई शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया ..............ऐसा ही प्यार बनाये रखिये
दोस्तों  सब जानते हैं, के किसी भी कामयाबी के मामले में, कुछ अपनों ,और कुच्छ,  परायों की कई बार नज़र लग जाती है,, मुझे गलत फहमी हुई ,मेरा ब्लॉग थोड़ा  बहुत अच्छा चलने  लगा है ,मेरे ब्लोगर भाईयों और बहनों की जिंदगी और हाल के  बारे में जब में लिखने लगा तो मुझे कई मुबारकबाद भी मिली, कई उलाहना भी  मिली ,लेकिन अचानक, मेरे ब्लॉग की रीडर शिप ठप्प हो गयी, में परेशान ब्लॉग  तकनीक में ,में अज्ञानी, सोचा चलो भाई दिनेश राय जी द्विवेदी जी से बात  करे,,, भाई द्विवेदी से जब मेने कहा ,के मेरा ब्लॉग डेशबोर्ड और हमारिवानी  में नहीं आ रहा है, तो भाई दिनेश जी ने तुरंत शाहनवाज़ जी को फोन लगा डाला,  शाहनवाज़ जी ने मेरे ब्लॉग के बारे में समझा और फिर मुझे इस मामले में  क्या हो सकता है बताने के लियें आश्वस्त किया .
भाई  शाहनवाज़ ने कोशिश की और पता लगाया के तारीख २८ अप्रैल से मेरा ब्लॉग  हमारिवानी पर अपडेट नहीं है और कुछ गडबड  है जो समझ में नहीं आई है  शाहनवाज़  भाई ने मुझे कुछ निर्देश दिए ,लेकिन मुझे मेरे ब्लॉग को दूसरों  को पढाने में सफलता नहीं मिली, मेने हिम्मत तो हारी, में निरुत्साहित तो  हुआ ,लेकिन थोड़ी बहुत हिम्मत बाक़ी थी, सांझा ब्लॉग ,,ब्लॉग की खबरें  ....प्रगति शील ब्लॉग लेखक संघ ..आल इण्डिया ब्लोगर्स .हिंदी ब्लोगर्स के  जरिये में अपने ब्लॉग प्रमोट करने की कोशिश करता रहा,, लेकिन हमारी वाणी पर  मेरे ब्लॉग फिर भी में लोगों तक  नहीं पहुंचा सका ,में खुद और एक  कम्प्यूटर इंजीनियर इस प्रयास में काफी थक गए, मेने फिर दिनेश भाई को याद  किया ,दिनेश भाई ने कहा के फीड बर्नर का कोई मामला होगा, लेकिन मुझे भी  इसमें ज्यादा तकनीक जानकारी नहीं है ,खेर ..मेने कम्प्यूटर इंजीनियर जी को  बताया,,,लेकिन सारी कोशिशें बेकार में लगातार भाई मासूम   जी को मुंबई के  नम्बर पर फोन मिला रहा था लेकिन फोन स्विच और मेने भाई मासूम को संदेश दिया  परेशानी बताई लेकिन कोई जवाब नहीं आया मन पापी होता है एक बार तो सोचा के  मासूम  भाई बेवफा तो नहीं हो गए ..फिर सोचा अनवर भाई से बात करूं लेकिन भाई  अनवर तो ब्लोगिग्न सम्मान में व्यस्त थे हम भी खुश थे के भाई को उनकी महनत  का फल मिल रहा है इधर खुशदीप जी के कथित सन्यास को लेकर लपड़ा चल रहा था  इसलियें  मुझे कोई भाव नहीं दे रहा था ...खेर बाद में पता चला के अमन का  पैगाम जोनपुर लखनऊ  में मजे कर रहे थे .वहां लोगों में प्यार अपनापन और  खुशिया बाँट रहे थे,,मेलजोल और भाईचारे वाले कार्यक्रम में बिजी थे,, और अब  वापस मुबई लोट आये हैं,मेने फोन मिलाया, मासूम भाई उसी दिन मुम्बई पहुंचे  थे, सो उन्होंने अभी हाल ही में मेरा संदेश देखने की बात कही, और  मेरी  परेशानी सुनकर सहज कहा के कोई बात नहीं अब में आ गया हूँ ,सब ठीक हो जाएगा  ..कल मासूम भाई से बात हुई आज सुबह मेने ब्लॉग अनमने मन से लिखा और फिर  देखा तो मेरा ब्लॉग डेशबोर्ड पर आया गया मेने हमारीवाणी  क्लिक  की तो उसमे  भी मेरा ब्लॉग आ गया था बस जनाब मेरी तो जान में जान आ ही गयी और मुझे लगा  के अब में फिर मुख्यधारा में जुड़ने वाला ब्लोगर हो गया हूँ ,वरना जंगल में  मोर नाचा  किसने देखा वाली कहावत थी अब इस मामले में मासूम भाई का  शुक्रिया शुक्रिया .................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 
 





 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

1 comments:
आपने बताया कि मासूम साहब वापस अपनी सेवाएं सुचारू रूप से दे रहे हैं। यह ख़ुशी की बात है और यह और भी ज़्यादा ख़ुशी की बात है कि उन्होंने आपको उस परेशानी से नजात दिलाई जिसके सामने सब हार गए थे।
मासूम भाई का बहुत-बहुत शुक्रिया।
...लेकिन आप यह न समझें कि ‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?‘ वाली कहावत आप पर लागू हो सकती है।
दस ब्लॉग में आपका साझा है। आप जब नाचते हैं तो ज़माना देखता है साहब ।
शुक्रिया एक अच्छी पोस्ट के लिए। मैं ख़ुद भी आज एक पोस्ट ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर बनाने वाला था मासूम साहब की वापसी की ख़बर देने के लिए। अब इसी पोस्ट से मक़सद पूरा हो गया।
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