''है भव्य भारत ही हमारी मात्रभूमि हरी-भरी,
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा और लिपि है नागरी.''
-श्री मैथली शरण गुप्त जी
हिंदी साहित्य पहेली से जुड़ें और हिंदी ज्ञान बढ़ाएं .आज के समय में हिंदी के प्रचार प्रसार में हम हिंदी चिट्ठाकारों का ये कर्त्तव्य बनता है की हम हिंदी को उसके योग्य पद पर विराजमान होने में सहयोग करें और यह हम अपने हिंदी ज्ञान को बढ़ाकर ही कर सकते हैं.तो आइये हिंदी साहित्य पहेली से जुड़ें और इस दिशा में अपने कदम बढ़ाएं.
हिंदी साहित्य पहेली का url http://shalinishikha.blogspot.com है-
शालिनी कौशिक
3 comments:
sarthak prastuti shalini ji .aabhar
नए ब्लॉग की जानकारी देकर आप एक अच्छा काम कर रही हैं । आपकी मेहनत की बहुत जल्द क़द्र करूंगा और आपको एक तोहफ़ा Online दूँगा ।
धन्यवाद !
aapka dhanyawad hi sabse bada tohfa hai.thanks
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