...क्योंकि जो भी उनकी बुराई करेगा वह उसकी सदस्यता ‘नारी‘ ब्लॉग से समाप्त कर देंगी।
ऐसा दावा किया है उन्होंने अपनी एक नई पोस्ट में।
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2011/07/blog-post_24.html
इसी पोस्ट में उन्होंने दावा किया है कि उन महिला ब्लॉगर्स की सदस्यता भी समाप्त की जाएगी जो कि इधर उधर जाकर ‘नारी‘ ब्लॉग के बारे में सुझाव देती हैं कि इसमें यह और यह बातें और होनी चाहिएं।
यह सब काम वे कितने अर्से में करेंगी इसका कोई ज़िक्र उन्होंने इस पोस्ट में नहीं किया है। इसका ज़िक्र उन्होंने एक और जगह किया है और उसका लिंक यह है।
ऐसा दावा किया है उन्होंने अपनी एक नई पोस्ट में।
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2011/07/blog-post_24.html
इसी पोस्ट में उन्होंने दावा किया है कि उन महिला ब्लॉगर्स की सदस्यता भी समाप्त की जाएगी जो कि इधर उधर जाकर ‘नारी‘ ब्लॉग के बारे में सुझाव देती हैं कि इसमें यह और यह बातें और होनी चाहिएं।
यह सब काम वे कितने अर्से में करेंगी इसका कोई ज़िक्र उन्होंने इस पोस्ट में नहीं किया है। इसका ज़िक्र उन्होंने एक और जगह किया है और उसका लिंक यह है।
http://vicharonkachabootra.blogspot.com/2011/07/blog-post_23.html
ब्लॉग के लिए सलाह और सुझाव देना और साझा ब्लॉग के संचालक को उसकी ग़लत पॉलिसी पर टोकना क्या इतना बड़ा जुर्म है कि ब्लॉगर्स की सदस्यता ही समाप्त कर दी जाए ?
यह महिला ब्लॉगर्स को डराने की एक नाकाम कोशिश है या फिर अपना शक्ति प्रदर्शन ?
यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन फ़िलहाल ‘नारी‘ के रीवैम्प की तैयारी जारी है।
ब्लॉग के लिए सलाह और सुझाव देना और साझा ब्लॉग के संचालक को उसकी ग़लत पॉलिसी पर टोकना क्या इतना बड़ा जुर्म है कि ब्लॉगर्स की सदस्यता ही समाप्त कर दी जाए ?
यह महिला ब्लॉगर्स को डराने की एक नाकाम कोशिश है या फिर अपना शक्ति प्रदर्शन ?
यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन फ़िलहाल ‘नारी‘ के रीवैम्प की तैयारी जारी है।
यह है हिंदी ब्लॉग जगत की ताज़ा हलचल जिसे आपके सामने पूरी निर्भीकता के साथ पेश कर रहा है ‘ब्लॉग की ख़बरें‘
यदि आप भी ऐसी ही कोई सूचना यहां प्रकाशित कराना चाहते हैं तो उसे भेज दीजिए ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ को एक शीर्षक लिखकर ‘ब्लॉग की ख़बरें में प्रकाशनार्थ‘। blogkikhabren@gmail.com
11 comments:
आज की दुनिया में सही बात कहना सपसे बड़ा गुनाह है!
हम अनपढ़, गंवार कुछ नहीं समझे कोई हिंदी में कुछ कहता या लिखता तब समझ आती. पढ़े-लिखे की लड़ाई में हम क्यों पड़े. जब सब ब्लोग्गर दूर खड़े होकर तमाशा देख रहे हैं, तब हम क्यों न देखें? हम तो ठहरे वैसे भी अनपढ़, गंवार और सिरफिरा.
ati har jagah varjit hai ||
kya apne putron se koi man dvesh kar sakti hai ||
utta-han kar sakti hai ,
chat se lekar niche kud sakti hai ya vishpaan bhi kara sakti hai ||
आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
रचना जी की कार्य प्रणाली तो यही जाहिर करती है की उनके खिलाफ बोलना गुअनाह है किन्तु साथ ही किसी ऐसे ब्लोगर से सम्बन्ध होना भी गुनाह ही है जो उनके खिलाफ विचार व्यक्त करता है मुझे तो यही लगता है क्योंकि मैंने तो उनके खिलाफ कुछ कहा ही नहीं था उन्होंने तो मुझे शिखा के कहे पर ही बाहर कर दिया वैसे मेरे लिए यह बहुत बड़ा तोहफा है क्योंकि वैसे भी मैं बहुत से ब्लॉग से जुडी हूँ जहाँ मैं किसी भी विषय के पक्ष विपक्ष पर लिख सकती हूँ जबकि उनके ब्लॉग नारी पर तो केवल नारी के पक्ष में ही लिखा जा सकता है जबकि नारी का दूसरा पक्ष भी है और वह भी चर्चा का विषय होना चाहिए .
दोस्तों, आज तो कम से कम दिल से स्वीकार कर लो. भाई अनवर जमाल खान साहब बेशक धर्म से इस्लाम है.मगर उनका इरादा कभी किसी का अहित करना नहीं बल्कि सच का साथ देना और जब तक कोई सच का साथ देगा और सच का गला नहीं घोटेगा. तब तक सिरफिरा हर उस व्यक्ति के साथ खड़ा है.जिस दिन उसने सच का दामन छोड़ा.उस दिन "सिरफिरा" दामन छोड़ने में दो मिनट नहीं लगेगा.
आदरणीय शिखा कौशिक जी, आप भी आज उसी द्वध्द से लड़ रही है. जिससे कुछ दिनों पहले मैंने भी "भारतीय ब्लॉग समाचार" के मंच पर लड़ा था. उस दिन सभी को डॉ अनवर जमाल खान बुरे नज़र आ रहे थें, क्योंकि उन्होंने मेरी उस पोस्ट को यहाँ "रमेश कुमार जैन ने 'सिर-फिरा'दिया शीर्षक से पोस्ट लगा दी थीं.तब मैंने भी चैटिंग को शामिल करते हुए अपनी जिम्मेदारियां की जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की थीं. तब सम्मानीय और आपकी दोस्त शालिनी कौशिक ने उसी मंच पर उसको मेरी निजी मामला/ख़बरें कहकर अपमानित किया था. जब कोई ब्लोग्गर किसी के निजी दुःख और सुख में साथ नहीं दें सकते हैं. तब क्यों यह दोस्ती और भाईचारे का ढोंग? आज तक सिरफिरा ने "सच" का साथ दिया है और देता रहेगा.आज आप किन हालातों से गुजर रही हैं. मैं यह भली-भांति समझ सकता हूँ. वैसे तो आपके उस मंच पर लगी यहीं पोस्ट उस मंच के मापदंड को पूरा नहीं करती हैं. उसमें भी किसी की निजी समस्या है. उस मंच के उद्देश्य को पूरा नहीं करती हैं. मगर यहाँ पोस्ट डालने वाले भाई अनवर जमाल खान साहब की हैसियत और जिसकी यह समस्या(प्रधान संपादक-शिखा कौशिक)है, उनकी हैसियत मेरे से लाख गुना बड़ी है. आखिर यह भेदभाव क्यों? सिर्फ इसलिए मैं गरीब, लाचार, कमजोर था. गरीब, लाचार और कमजोर को कोई भी थप्पड़ मार लेता हैं. अपने से ताकतवर को मारे तब बहादुरी है. आज कहाँ गई उस मंच के मंडल और मालिक की ताकत? उस दिन एक-दो को छोड़कर बाकी मौन थें और आज भी मौन क्यों है? यानि यहाँ पर तमाशा देखने वाले ज्यादा है. बल्कि आगे बढ़कर "सच" का समर्थन करने वाले कम है. मैंने जो कहा करके दिखाया और आगे भी दिखता रहूँगा. इसका सबूत भी उन्हें ईमेल करके दे रहा हूँ. जब सच का कोई साथ ना दें तब सिरफिरा के पास आये.सिरफिरा सच के लिए अपना सिर भी कटवाने के लिए तैयार रहता है.
मैं पहले भी कहता आया हूँ और आज ब्लॉग जगत पर कह रहा हूँ कि-मुझे मरना मंजूर है,बिकना मंजूर नहीं.जो मुझे खरीद सकें, वो चांदी के कागज अब तक बनें नहीं.
दोस्तों-गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
यह है हिंदी ब्लॉग जगत की ताज़ा हलचल जिसे आपके सामने पूरी निर्भीकता के साथ पेश कर रहा है ‘ब्लॉग की ख़बरें‘
यदि आप भी ऐसी ही कोई सूचना यहां प्रकाशित कराना चाहते हैं तो उसे भेज दीजिए ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ को एक शीर्षक लिखकर ‘ब्लॉग की ख़बरें में प्रकाशनार्थ‘। blogkikhabren@gmail.com
maine ek khabar bheji thi use prakashit nahi kiya gaya
@ अंकित जी ! आप एक रीयल स्कॉलर हैं। आपको बेवजह आरोप लगाने की आदत क्यों है भाई ?
आपका लेख कई दिन पहले प्रकाशित किया जा चुका है। निम्न लिंक पर जाएंगे तो आपको आपका लेख मिल जाएगा।
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_21.html
@ आदरणीय रविकर जी ! आपने बहुत अच्छी बात कही है कि अति हर क्षेत्र में वर्जित है। अगर इस बात को समझ लिया जाए तो फिर मध्यमार्ग को जान लेना आसान होता है और बुराई के सफ़ाए के लिए यह निहायत ज़रूरी है। इसी बिन्दु को विस्तार के साथ मैंने इस लेख में समझाया है। आप इसे देखकर अपनी क़ीमती राय से ज़रूर अवगत करायें। बहुत से भाई लोगों ने इसे पढ़ा है लेकिन प्रतिक्रिया देने के बजाय न जाने ख़ामोश क्यों हैं ?
बुराई के ख़ात्मे का उपाय कैसे हो ?
जी हाँ, आदरणीय रचना के खिलाफ बोलना गुनाह है. वहाँ पर हिटलर जैसी तानाशाही चलती हैं. मानते है कि वो ब्लॉग की मालिक है.मेरे विचार में उनको अपना ब्लॉग सार्वजनिक ना करके, कुछ पाठकों और लेखकों के लिए सीमित कर देना चाहिए. इससे जो उनकी तारीफ के पुल बांधेगा. उसकी टिप्पणी और लेख प्रकाशित भी होंगे.हमारी टिप्पणी को सही नहीं मानती हैं तब किसकी टिप्पणी को सही कहूँ सच मानेंगी.आप मेरी टिप्पणी और लिंक यहाँ http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/blog-post_5373.html पर देखें.
रमेश जी का ये वाला सुझाव बढ़िया है
Post a Comment