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नई दिल्ली।। भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने बुधवार को कहा कि सलमान रुश्दी घटिया और दोयम दर्जे के लेखक हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि विवादस्पद किताब 'सैटेनिक वर्सेज' से पहले उन्हें बहुत कम लोग जानते थे।
कुछ समय पहले तक सुप्रीम के जस्टिस रहे काटजू ने भारत में जन्मे और ब्रिटेन में रहने वाले रुश्दी के प्रशंसकों की आलोचना की। काटजू ने कहा कि वे औपनिवेशिक हीनभावना से ग्रस्त है इसलिए विदेश में रहने वाले हर लेखक को महान मान लेते हैं।
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष ने अपने बयान में कहा कि मैंने रुश्दी की कुछ पुस्तकें पढ़ी हैं और मेरा मानना है कि वह एक घटिया लेखक हैं और सैटेनिक वर्सेज से पहले उन्हें कम ही लोग जानते थे।
उन्होंने कहा कि यहां तक 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' को भी महान साहित्य कहना मुश्किल है। काटजू ने कहा कि समस्या यह है कि आज भारत के शिक्षित लोग औपनिवेशिक हीनभावना से ग्रस्त हैं। इसीलिए ऐसा है कि जो भी लंदन या न्यू यॉर्क में रहता है, वह महान लेखक हो जाता है, जबकि भारत में रहने वाले लेखक निम्न स्तर के माने जाते रहते हैं।
Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11629754.cms
कुछ समय पहले तक सुप्रीम के जस्टिस रहे काटजू ने भारत में जन्मे और ब्रिटेन में रहने वाले रुश्दी के प्रशंसकों की आलोचना की। काटजू ने कहा कि वे औपनिवेशिक हीनभावना से ग्रस्त है इसलिए विदेश में रहने वाले हर लेखक को महान मान लेते हैं।
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष ने अपने बयान में कहा कि मैंने रुश्दी की कुछ पुस्तकें पढ़ी हैं और मेरा मानना है कि वह एक घटिया लेखक हैं और सैटेनिक वर्सेज से पहले उन्हें कम ही लोग जानते थे।
उन्होंने कहा कि यहां तक 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' को भी महान साहित्य कहना मुश्किल है। काटजू ने कहा कि समस्या यह है कि आज भारत के शिक्षित लोग औपनिवेशिक हीनभावना से ग्रस्त हैं। इसीलिए ऐसा है कि जो भी लंदन या न्यू यॉर्क में रहता है, वह महान लेखक हो जाता है, जबकि भारत में रहने वाले लेखक निम्न स्तर के माने जाते रहते हैं।
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