लड़के लड़कियां साथ साथ पढ़ रहे हैं, काम काज भी साथ साथ ही कर रहे हैं. इन्हें अपने मां बाप की इज़्ज़त का भी ख़याल होता है। ऐसे में वे अपनी शादियां अपने मां बाप की पसंद से ही करते हैं या फिर अपनी पसंद उन्हें बताकर उनकी रज़ामंदी ले लेते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो उनसे ऊपर होकर ख़ुद अपनी शादी कर लेते हैं या फिर लिव इन रिलेशन में रहने लगते हैं।
क्या दूसरे समुदाय के लड़के और लड़कियों को ‘लिव इन रिलेशन‘ में रहने की प्रेरणा भी मुसलमान युवक ही देते हैं ?
इसमें इस्लाम और जिहाद कहां से आ गया ?
हिंदू और मुस्लिम की दूरियां अब ख़त्म होनी चाहिएं. जो बेहतर हो उसे सब करें और जो ग़लत हो उसे कोई भी न करे और नफ़रत फैलाने की बात तो कोई भी न करे.
सब आपस में प्यार करें.
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2012/01/love-jihad.html
सब आपस में प्यार करें.
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3 comments:
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
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घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहाँ, कोई नहीं प्रपंच।।
सही कहा।
सहमत।
बढ़िया प्रस्तुति बधाई
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
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