
वेद भाष्य ऋग्वेद 1,1,2 के अन्तर्गत पं. दुर्गाशंकर महिमवत् सत्यार्थी
वेद में सरवरे कायनात स. का ज़िक्र हैस्वर्गीय आचार्य शम्स नवेद उस्मानी की प्रख्यात रचना ‘अगर अब भी न जागे तो ...‘ (प्रस्तुति: एस. अब्दुल्लाह तारिक़) ने इस संदर्भ में एक पृथकतः स्वतंत्र अध्याय पाया जाता है।
सरवरे कायनात (स.) ही इस सृष्टि का प्रारंभ हैं।
‘सबसे पहले मशिय्यत के अनवार से,
नक्शे रूए मुहम्मद (स.) बनाया गया
फिर उसी नक्श से मांग कर रौशनी
बज़्मे कौनो मकां को सजाया गया
-मौलाना क़ासिम नानौतवी
संस्थापक दारूल उलूम देवबंद
हदीसों (= स्मृति ग्रंथों ?) से केवल इतना ही ज्ञात नहीं होता कि रसूलुल्लाह (स.) की नुबूव्वत भगवान मनु के शरीर में आत्मा डाले जाने से पहले थी, प्रत्युत हदीसों से यह भी प्रमाणित होता है कि हज़रत मुहम्मद मुज्तबा (स.) का निर्माण संपूर्ण सृष्टि, देवों, द्यावापृथिवी और अन्य सृष्टियों और परम व्योम (= मूल में ‘अर्शे इलाही‘) से भी पहले हुई थी और फिर नूरे-अहमद (स.) ही को ईशान परब्रह्म परमेश्वर ने अन्य संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का माध्यम बनाया।
(‘अगर अब भी न जागे तो ...‘ पृ. सं. 105 उर्दू से अनुवाद, दुर्गाशंकर महिमवत् सत्यार्थी।)
उक्त पुस्तक और कतिपय अन्य पुस्तकों में भी यह प्रमाणित करने के प्रयत्न किए गए हैं कि वेद में हुज़ूर स. का उल्लेख नराशंस के नाम से पाया जाता है।
Source : Dr. Ayaz Ahmad का ब्लॉग 'सोने पे सुहागा'
http://drayazahmad.blogspot.in/2012/02/blog-post_03.html
1 comments:
हैरतंगेज जानकारी ??
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