निम्न पोस्ट पर एक दिलचस्प संवाद के माध्यम से
जानिए कि अज़ान का अर्थ क्या है ?
चर्चाकार : डा. अनवर जमाल ख़ान
चर्चा का एक अंश :
सारी दुनिया के सत्पुरुष और वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि इस समय मनुष्य को उठ जाना चाहिए. इस समय का सोना घातक है. इस समय उठकर मनुष्य को ज़रूरी हाजत से फारिग़ होकर ध्यान और प्रार्थना करनी चाहिए. सभी सत्पुरुषों ने यही बताया है. यही सनातन धर्म है यानी हमेशा से मनुष्य इस नियम का पालन करता आया है. जो सनातन धर्म को नहीं जानता, वही इस बात पर ऐतराज़ करेगा कि पाव फटने पर लोगों से जागने और नमाज़ रुपी योग करने के लिए क्यों कहा जा रहा है ?
आजकल बीमारियों की एक बड़ी वजह यह भी है कि लोग रात में देर से सोते हैं और सूरज निकलने तक या उसके बाद भी सोते रहते हैं. इस से इंसान की बायो क्लॉक बिगड़ जाती है. उसकी सेहत भी बिगड़ जाती है.
जिस बात को केशव जी नहीं समझ पाए. उसे जानवर और परिंदे भी जानते हैं. आप देखिये कि वे फज्र (सुबह) की अज़ान के वक़्त जाग कर अपनी दिनचर्या शुरू कर देते हैं.
कहा भी गया है कि
Early to bed and early to rise makes a man healthy, wealthy, and wise.
परमेश्वर ने इंसान को सेहत, दौलत और अक्लमंद बनाने के लिए ही सुबह की नमाज़ रखी है. इसीलिए कहा जाता है कि नमाज़ नींद से बेहतर है.
2 comments:
वाह...!
बहुत सार्थक प्रस्तुति!
आभार!
शुक्रिया.
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