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पीपल और खजूर, कब तक रहेंगे दूर ? peepal & khajoor
वह हरियाली की धरती है। वहां भरपूर पानी है। सर्दी, गर्मी और वसंत हरेक मौसम वहां है। कहीं रेगिस्तान होता है तो कहीं केवल चट्टानें और कहीं महज़ मैदान लेकिन वहां ये तीनों हैं। वहां नदियां भी हैं और उनका सनम समंदर भी। वह वाक़ई बड़ा अजीब देश है। वहां एक ही गांव में पीपल और खजूर एक साथ उगते हैं। वहां के लोग भी ऐसे ही हैं।
...यह अपनाईयत देखकर आंखें नम हो जाती हैं। यहां इसी नमी की ज़रूरत है। अल्लामा इक़बाल ने भी कहा है कि
‘ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बड़ी ज़रख़ेज़ है साक़ी‘
मिट्टी सचमुच अच्छी है, बस एक साक़ी चाहिए।
अल्लामा इक़बाल ने ये भी कहा था कि
‘यह दौर अपने बराहीम की तलाश में है‘
इबराहीम (अ.) के नाम में से ‘इ‘ हटाकर उन्होंने ‘बराहीम‘ कहा तो ब्रहमा का गुमान हो जाता है। सब इन्हें अपना बड़ा मानते हैं और बहुत बड़े बड़ों के ये सचमुच ही बाप हैं। इनका घर आंगन बहुत बड़ा है। पीपल भी इनका है और खजूर भी इनकी ही है। इन्हीं के कुम्भ में अमृत रहता है। जिसके पास भी आज अमृत है। उसे वह इन्हीं के कुम्भ से मिला है।
इस मिट्टी को अमृत से ही नम होना है। अमृत कुम्भ में छिपाया गया है। वास्तव में परमेश्वर का सबसे गोपनीय नाम ही अमृत है। उस नाम का अंतिम अक्षर ‘ह‘ है और कुम्भ के ‘भ‘ (ब+ह) में यही अक्षर छिपा है। यह रहस्य हमेशा रहस्य नहीं रहेगा। पीपल हमेशा खजूर से दूर नहीं रहेगा।
http://mankiduniya.blogspot.in/2013/03/peepal-khajoor.html
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