मशहूर हिंदी ब्लॉगर दिगम्बर नासवा जी के इस बयान पर अचानक ही नज़र पड़ गई।
हुआ यों कि एक नारी की आलोचना का बाज़ार गर्म हुआ तो एक पुरानी पोस्ट पर फिर से जाना हुआ। जिसमें हिंदी ब्लॉगर सर्वत जमाल साहब की गुमशुदगी को लेकर यह अपील की गई थी कि
ब्लागर साथियों से हर संभव मदद चाहिए
उसी पोस्ट पर दिगम्बर नासवा साहब ने यह टिप्पणी की है-
- दिगम्बर नासवा26 July, 2012 12:31अनवर जमाल साहब सच में संवेदनशील इंसान हैं ... उनकी सलामती की दुआ करता हूँ ... आशा है जल्दी ही उनका पता मिलेगा ...
वह सर्वत जमाल के बजाय अनवर जमाल को घर से ग़ायब समझे। ख़ैर इस बहाने हमें उनकी दुआएं मिल गईं और उनके नेक जज़्बात का इल्म भी हो गया।
हम दिगम्बर नासवा जी के शुक्रगुज़ार हैं।
इस बहाने हमें सर्वत जमाल साहब की ख़ैरियत भी मिल गई है। अल्पना वर्मा जी के एक कमेंट ने हमें इस ख़बर तक पहुंचा दिया-
इस पोस्ट में हमें अलका सर्वत के जज़्बात को जानने का सौभाग्य भी मिला।
‘औरत के जज़्बात‘ सचमुच पेचीदा होते हैं। उन्हें दो और दो चार की तरह नहीं समझा जा सकता।
‘औरत की हक़ीक़त‘ ब्लॉग में हम ऐसे ही जज़्बात को जानने समझने का काम करते हैं।
सर्वत जमाल साहब की इज़्ज़त हमारी नज़रों में और ज़्यादा बढ़ गई है। हम आज तक दूसरी शादी की सोचते ही रह गए और उन्हें किए हुए 16 साल भी बीत गए। इसी के साथ अलका सर्वत जी के लिए भी हमारे दिल में बहुत ज़्यादा क़द्र पैदा हो गई है कि वे रिश्तों में यक़ीन रखती हैं।
मर्द के हौसले और औरत की वफ़ा को एक साथ सलाम !
कोई अच्छी सी वफ़ादार लड़की मिले तो हम भी अपना हौसला बुलंद किए बैठे हैं, भले हमारे पहले से ही बच्चे हों।