डा. श्याम गुप्ता जी से कौन परिचित नहीं है। सारा ब्लॉग जगत जानता है कि वह अपना शुमार हिन्दी के मूर्धन्य विद्वानों में करते हैं। काटजू जी तो 90 फ़ीसदी हिन्दुस्तानियों को मूर्ख मानते हैं यानि कि 10 फ़ीसदी को उन्होंने भी माफ़ कर दिया लेकिन आदरणीय गुप्ता जी ने हिन्दी ब्लॉगर्स के दरम्यान लंबा अर्सा गुज़ार कर जो पाया है उसे हमारी एक पोस्ट पर इन शब्दों में बयान किया है-
सब चवन्नी छाप हैं ..चवन्नी छापों को तो पसंद आयेंगे ही.....
shyam gupta said...
इसके जवाब में हमने कहा है-
आदरणीय डा. श्याम गुप्ता जी ! आपने जर्मनी के ‘बॉब्स अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार 2013‘ के लिए नामांकित सभी ब्लॉगर्स को चवन्नी छाप घोषित कर दिया और उन्हें पसंद करने वालों को भी आपने चवन्नी छाप कह दिया।
1. आप हज़ार का खरा नोट हैं। इनके सामूहिक ब्लॉग का सदस्य बनकर आपकी शान में बट्टा नहीं लगता क्या ?
2. आप क्यों कम स्तर के ब्लॉगर्स को अपनी रचनाएं परोस कर अपनी बेइज़्ज़ती करवाते हैं ?
3. आपकी नज़र में चवन्नी छाप ठहरे ये हिन्दी ब्लॉगर्स जब आपकी रचनाओं को पसंद करते हैं तो आपको कितना बुरा लगता होगा ?
भाई साहब, आप एक भयानक मनोरोगी हैं। आप अपना इलाज शाहदरा के अस्पताल में करवा लें। वहां के डॉक्टर्स मनोरोगी को पागल कहने से भी रोकते हैं और इलाज भी मुफ़्त करते हैं।
वहां न जाना चाहो तो किसी होम्योपैथ से ही दवा ले लीजिए। इस तरह की घटिया सोच के लिए उसमें भी कई बढ़िया दवाएं मौजूद हैं।
होम्योपैथी से चिढ़ हो तो आयर्वेद से तो प्रेम होगा ?
आप उसी की कोई नींद लाने वाली दवा खाकर कुछ दिन आराम कर लीजिए। सोने से भी आपके अंदर इंसानियत जागने के पूरे चांस हैं। शाहदरा वाले भी साथ में नींद की गोली ज़रूर देते हैं।
हम केवल आपको सेहतमंद देखना चाहते हैं। आप हमारे बड़े हैं, आपकी टिप्पणियां भी आपके बड़प्पन के अनुकूल होनी चाहिएं।
हम सभी चवन्नियां मिलकर आपके मंगल की कामना करते हैं।
मालिक आपका दम और दाम दोनों बनाए रखे,
आमीन !!!
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2 comments:
ये तो सचमुच श्याम गुप्त जी गलत धारणा है. उनको इसके लिए खेद जताना चाहिए.
@ आदरणीय पुरूषोत्तम पाण्डेय जी ! आपने संज्ञान लिया, आपका शुक्रिया !
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